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________________ 1. अन्त में दोहरी जीवन रेखा 2. मस्तिष्क रेखा का निकास जीवन रेखा से जुड़ा 3. मस्तिष्क रेखा का निकास बृहस्पति से 4. मस्तिष्क रेखा का निकास मंगल से 5. मस्तिष्क रेखा का अन्त मंगल पर 6. दोहरी मस्तिष्क रेखा 7. मस्तिष्क रेखा में छोटी दो रेखाएं 8. मस्तिष्क रेखा में रोमांच नीचे की ओर 9. भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास 10. मस्तिष्क रेखा में रूकी भाग्य रेखा 11. मस्तिष्क रेखा का अन्त चन्द्रमा पर 12. आरम्भ में द्विभाजित जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा में किसी भी प्रकार का दोष जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करता है। मस्तिष्क रेखा तथा BAAA चित्र - 58 जीवन रेखा का जोड़ भी लम्बा नहीं होना चाहिए, यह भी मस्तिष्क रेखा के गुणों में कमी कर देता है। मस्तिष्क रेखा को एकदम झुकना या मुड़ना भी नहीं चाहिए ( चित्र - 59 ) | यदि मस्तिष्क रेखा धीरे-धीरे झुक कर चन्द्रमा की ओर जाती हो तो उत्तम मानी जाती है परन्तु यही मस्तिष्क रेखा एकदम झुक या मुड़कर चन्द्रमा पर जाए तो दोषपूर्ण मानी जाती है। अतः सभी प्रकार से इनके गुणों और दोषों को देखने के पश्चात् तथा अन्य रेखाओं के साथ समन्वय करने के पश्चात् ही फल कहना चाहिए। मस्तिष्क रेखा हाथ में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यदि हम इसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण रेखा कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । चित्र - 59 निर्दोष मस्तिष्क रेखा मस्तिष्क रेखा जितनी ही निर्दोष और सीधी होती है, व्यक्ति उतना ही स्वतन्त्र मस्तिष्क वाला होता है तथा जीवन बिना किसी संकट के आगे बढ़ता जाता है। ऐसे व्यक्ति समझदार व धनवान होते हैं। किसी के प्रभाव में आना या दब कर चलना इनके बस की बात नहीं (चित्र - 60 ) । बिना किसी आर्थिक एवं मानसिक सहायता 135 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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