SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुठार रेखा होने पर घर में सास या किसी दूसरी स्त्री के कारण वातावरण कलहपूर्ण व अशान्त रहता है। यदि कोई दूसरी स्त्री घर में नहीं हो तो पति या पत्नी के द्वारा ही जीवन में अशान्ति का माहौल रहता है। आयु के अंतिम पड़ाव पर ऐसे व्यक्ति जीवन साथी के बिना नहीं रहते। = मुड़ी हुई जीवन रेखा । जब जीवन रेखा इस प्रकार की हो कि उसमें एक मोड़ दिखाई पड़े तो वह मुड़ी हुई जीवन रेखा कहलाती है। जीवन व मस्तिष्क रेखा मिली होने पर, देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन रेखा का उदय मस्तिष्क रेखा से ही शनि के नीचे से हुआ है (देखें चित्र-45) परन्तु जब मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग होकर निकलती है और जीवन रेखा कुछ दूरी तक मस्तिष्क रेखा के समानान्तर चल कर, मोड़ खाकर मस्तिष्क रेखा से अलग होती है। ऐसी रेखा को मुड़ी हुई जीवन रेखा कहते हैं, ऐसी जीवन रेखा दोनों हाथ में कम ही देखी जाती हैं। प्रायः एक ही हाथ मे ऐसी रेखा देखने में आती है तथा एक पिता की एक ही सन्तान के हाथ में यह रेखा पाई जाती है। दोनों हाथों में ऐसे लक्षण होने पर यह विशेष फलकारी होती है। चित्र-45 __ ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में विशेष सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। साधारण हाथों में यदि अन्य लक्षणों के साथ-साथ मुड़ी हुई जीवन रेखा हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पहले के मुकाबले में तीन गुनी अधिक अच्छी होती है। अत: यह लक्षण आर्थिक दृष्टि से बहुत ही उत्तम माना जाता है। दोनों हाथों में मुड़ी हुई जीवन रेखा होने पर तो अभूतपूर्व आर्थिक स्थिति होती है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति देर से स्थायित्व प्राप्त करते हैं, किन्तु भाग्य रेखा व अन्य लक्षण अच्छे होने पर आरम्भ से ही स्थायित्व प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत धनी रहते हैं। परन्तु मुड़ाव का समय निकलने के पश्चात् ही यह सब उपलब्धियां दिखाई पड़ती हैं। जिस समय तक मुड़ाव रहता है रुकावट, परेशानी, धन की कमी, विरोध तथा रोग आदि का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति क्रोधी, सीधे, लापरवाह , स्वतन्त्र विचारों के व परिवार के लिए त्याग करने वाले होते हैं। ये किसी पर निर्भर रहना पसन्द नहीं करते। आरम्भ में नौकरी करते हैं तथा अवसर मिलते ही व्यापार में चले जाते हैं। ये इरादे के पक्के होते हैं। 125 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy