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________________ दोष होने पर यह अल्सर का रूप धारण कर लेती है। जिस समय तक कुठार रेखा चलती रहती है, उस समय तक व्यक्ति पर कुछ न कुछ देनदारी अवश्य बनी रहती है। नौकरी में भी परेशानी रहती है। कुठार रेखा होने के साथ-साथ, यदि मस्तिष्क रेखा पर भाग्य रेखा रुकती है, तो व्यक्ति पर कोई घातक हमला भी होता है। सेना में होने पर ऐसे व्यक्ति गोली इत्यादि से तो बचते रहते हैं लेकिन आपस में दुश्मनी के कारण छुरे आदि से वार होने की सम्भावना होती है। कई बार गलतफहमी में भी ऐसा हो जाता है। हाथ में अन्य अच्छे लक्षण होने पर मृत्यु नहीं होती। कुठार रेखा के साथ यदि मस्तिष्क रेखा भी मोटी-पतली हो तो भयंकर दुर्घटना होती है। पेट या टांग का आपरेशन कराना पड़ता है। यह अंग-भंग का भी मुख्य लक्षण है। यदि कुठार रेखा के द्वारा जीवन रेखा पर एक लम्बा द्वीप बनता हो तो पेट का आपरेशन या फेफड़ों में प्लूरिसी के भय का लक्षण है। स्त्री हाथ में कुठार रेखा कमर में दर्द, मासिक धर्म में विकार, श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर आदि दोषों का लक्षण है। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होने पर गुर्दे खराब हो जाते हैं। कुठार रेखा के साथ-साथ भाग्य रेखा में भी दोष हो अर्थात् भाग्य रेखा मोटी, टूटी हुई, कई टुकड़ों से मिलकर बनी हो या भाग्य रेखा जीवन रेखा के समीप आती हुई या मस्तिष्क रेखा पर रुकती हो तो दाम्पत्य जीवन के लिए ये अच्छे लक्षण नहीं हैं। गृहस्थ जीवन में कलह, विछोह, तलाक आदि घटनाएं घटित होती हैं। हृदय रेखा की शाखा, यदि उसी आयु में मस्तिष्क रेखा पर मिलती हो तो निश्चित रूप से जीवन साथी की मृत्यु या तलाक हो जाता है। अन्य रेखाओं में सुधार होने पर दाम्पत्य जीवन में सुख रहता है। हाथ पतला होने पर यदि कोई अन्य दोष हो, चित्र-44 जैसे भाग्य रेखा का हृदय रेखा पर रुकना आदि भी हो तो जीवन साथी की टी. बी. आदि भयंकर रोग से मृत्यु हो जाती है। स्त्रियों के हाथ में ऐसे लक्षण होने पर स्वयं तथा जीवन साथी का स्वभाव तेज होता है और कुठार रेखा के रहने तक असन्तोष बना रहता है। ऐसे व्यक्तियों को सन्तान सम्बन्धी चिन्ता भी रहती है। इनके बच्चे पढ़ने में ध्यान नहीं देते और शिक्षा सुचारू रूप से प्राप्त नहीं कर पाते। उनकी शिक्षा में रुकावट आती है तथा बचपन में स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। 124 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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