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________________ योगीराज जी के दर्शन : इस कम चौड़े द्वार से अन्दर पहुँचने पर शिवरत्न का बोर्ड मिलेगा। जिसमें तीर का निशान सकेत कर रहा है। इस संकेत (दांई ओर) चलने पर सीढ़ियाँ मिलेगी, हर तीन चार या पाँच सीढ़ियों के बाद मोढ़ आता है । लगभग तीन मोड़ के बाद फ्लोर बांई ओर को भी सीढ़ी है । परन्तु आपको दाहिनी ओर ही मुड़ते हुए जाना है। बीच-बीच में कई जगह शिवरत्न लिखा मिलेगा। ऊपरी मञ्जिल पर पहँचकर शोरूम में योगीराज मूलचन्द खत्री जी के दर्शन होंगें। योगीराज मूलचन्द खत्री जी: गंगोत्री, यमनोत्री बद्री केदार से काशी और बंगाल तक के बहुत से सन्त महात्माओं से परिचय है, अपनी भी कुछ साधना करते हैं। वर्ष में उस साधना का अनुष्ठान भी करते हैं । परन्तु उसे प्रकाशित नहीं करते। रत्न और मद्राक्ष के द्वारा जनता की सेवा युवावस्था के प्रारम्भ से ही करते रहे हैं । स्वयं प्रारम्भ से राशि के पत्थरों, रत्नों से जड़ित अष्ट धातु की अगूठियाँ घम-घूम कर बेचा करते थे। अंगूठी बेचते-बेचते थोड़े ही दिनों में छोटी सी दुकान खोल ली। दुकान में सहायक कार्यकर्ता रखने पड़े। उन कार्यकर्ताओं ने खत्री जी से कुछ सीख कर अपनी-अपनी दुकानें खोल लीं। हरिद्वार में नग-नगीने अंगूठी आदि की दुकानें शिव रत्न केन्द्र से कुछ सीखे हुए नव सिखियों की हैं । परन्तु खत्री जी के काम में कोई कमी नहीं आई। क्योंकि उनके अनुभव से लोगों को लाभ होने की प्रसिद्धि बढ़ती रही। इसी कारण आज उनका शोरूम मूल्यवान रत्न रुद्राक्ष, केशर, कस्तूरी अष्टगन्ध से युक्त परिपूर्ण है। जयपुर, मद्रास, आदि नगरों के जौहरी उनका आदर करते हैं। देश के रत्नों के बाजार में उनका आदर करते हैं। देश के रत्नों के बाजार रत्न ज्ञान [७१] - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001754
Book TitleRatnagyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogiraj Mulchand Khatri
PublisherShiv Ratna Kendra Haridwar
Publication Year
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Science
File Size6 MB
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