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देखी गई हैं । पुखराज का रंग तो हलका पीला ही होता है। पुखराज में दाग, धब्बे, दुरंगा आदि सब नेचुरल (प्राकृतिक) जाते हैं।
नकली पुखराज (इमीटेशन) सब विदेशों से आता है । जोकि बहुत ही चमकदार गहरे पीले रंग तथा बिना किसी दाग धब्बे का होता है । खरीदार उसको चमक-दमक पर रोझता है और बाजार में ठगा जाता है । असली पुखराज कोई पुराना अनुभवी पारखो नजरों से देखकर ही बता सकता है। ज्योतिष में पुखराज :
ज्योतिष शास्त्र में पुखराज को देवगुरु वृहस्पति का प्रतीक माना है, सौभाग्य का प्रतीक है । इसके प्रयोग से वैवाहिक जीवन में मधुरता पैदा होकर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पुखराज रोग नाशक कीति और पराक्रम की वृद्धि करने वाला, आयु एवं सम्पत्ति का वर्धक माना गया हैं । सांसारिक सुख एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है। विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो शीघ्र और सुलभ हो जाता है, ग्रहस्थ जीवन जिसका अनुकुल न हो अथवा पत्नी सुशील और सुयोग्य चाहते हों गृहस्थी जीवन सुखमय बनाना चाहते हों, उन्हें असली पुखराज अवश्य धारण करना चाहिये। पुखराज पहनने वालों की प्रतिष्ठा दिनों दिन बढ़ती है। मन में उत्साह बना रहता है। रुके काम बनने लगते हैं । लेखक, वकील बुद्धिजीवियों के लिए अत्यन्त लाभकारी है।
पुखराज का स्वामी (गुम्बृहस्पति) है। गुरु किसी का बुरा नहीं चाहता। भाई-बहिन, माता-पिता, कुटुम्ब परिवार, पति-पत्नी, सभी रिश्तों में प्रेम बढ़ाता है। गुरु अधिपति होने से साधु सन्त, महात्मा भी इसे धारण कर सकते है। रत्न ज्ञान
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