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________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ गिरनार, सिन्धुदेश के पूर्व आबू, पूर्व पश्चिम, तुर्किस्तान, महानदी, सोन नदी, आदि जगहों पर पैदा होता है। इनमें गुण और गुणरहित दोनों प्रकार के रत्न मिलते हैं। बड़े-बड़े उद्योगपति या राजा महाराजा ही इसको पहन सकते हैं। कोमल, अंग और नरम संगसिरस के फूल के समान हल्के रंग का पन्ना अति उत्तम होता है। मोर पंख, तोता के समान हरा व धान के खेत या नीम के पत्ती के समान रंग का पन्ना विशेषकर खिल उठता है। हरे जल के समान वाला पन्ना क्षत्रिय को, शुक पंख वाला पन्ना वैश्य को, सिरसपुष्प के समान रंग वाला ब्राह्मण को तथा मोर पंख के समान पन्ना रत्न शूद्र का धारण करना चाहिये। पन्ने के लाभ-अच्छी चमक व चिकना, साफ अच्छे घाट और हरे रंग का पन्ना गुणवान होता है। कन्या राशि के लिये चन्द्र ग्रह व बुध ग्रह आने पर इसे मन्त्रोभूषित कर धारण करना चाहिये। जो पन्ना सूर्य के प्रकाश में वस्त्र पर रखने से वस्त्र हरे रंग का दिखे वह बुद्धि, शरीरवर्द्धक, एवं बलवान होता है। इसके धारण करने से जादू, टोना, धन सम्पत्ति,वंश वृद्धि, सर्प भूतादि सब बाधायें दूर होती है तथा स्वप्न दोष नहीं होते। . पन्ने के दोष-पन्ना रत्न धारण करने से पहले परख लेना चाहिये। काँच का पन्ना नेत्रों पर रखने से गर्मी देता है। आँच पर रखने से गल जाता है। घिसने से आभा दब जाती है। हाथ पर रखने से भारीपन महसूस होता है। टोना पन्ना दूषित होता है। (१) पिता के सुख हरने वाला दोरंगा पन्ना दोषी होता है। (२) चुरचुरा अंग वाला पन्ना रुक्ष दोषी होता है। (३) सुन्न वाला श्यामलता लिये पन्ना दूषित होता है। (४) मधुक माविन्द दोष वाला पन्ना माता-पिता की मृत्यु का कारण बनता है। (५) स्वर्णकान्ति पन्ना दोषित सुख हरने वाला आदि पन्ने के दोष हैं। दोष रहित पन्ना तेज चमकदार आँखों पर लगाने से ठंडक महसूस होती है। हाथ पर लेने से हल्का लगता है। पन्ना सान पर चढ़ाने पर और ज्यादा चमकदार होता है। दोष रहित पाँच ठाँक पन्ने की कीमत पचासों लाख की होती है। पन्ना का उपयोग-अन्य रत्नों की भाँति पन्ना भी अनेक रोगों व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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