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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ मूंगा का स्वामी-यह भुज, हिमालय, शिखर और मानसरोवर में यह विशेषकर मिलता है। इसकी जड़ें और शाखाएँ निकलती हैं। जो सिन्दूरी हिंगुल या गेरुवे रंग की होती हैं। इसका अंग छिपा, नरम काष्ठावान् होता है। ब्राह्मण वर्ग का मूंगा सिन्दूरी, क्षत्रिय वर्ग सिंग्रिफ या हिंगुल के रंग का, वैश्य वर्ण का मूंगा गेरुवा रंग और शूद्र वर्ण का मूंगा श्यामता लिये होता है।
लाभ-मूंगा को घिसकर गर्भिणी स्त्री के पेट पर लेप करने से गर्भपात रुककर पूरे दिन बाद स्वस्थ बालक जन्म लेता है। मूंगा बालक के गले में पहनाने से पेट का दर्द तथा सूखा रोग आदि दूर होते हैं। अच्छे घाट का चमकदार और चिकना मूंगा पहनने से मन प्रसन्न होता है। मूंगा की माला शुभ दिन में पहनने से मिर्गी तथा हृदय रोग दूर होते हैं। सोने के साथ मूंगा का दान करने से मंगल ग्रह कष्ट दूर होता है। मूंगा रत्न के गहने भी पहने जाते हैं। मूंगा का वजन पाँच ठाँक का हो तो वह मणि संसार में सुखभोग, सम्पत्ति देने वाली होती है। इसकी कीमत और रत्नों की अपेक्षा काफी कम है पर इसके गुण अधिक हैं।
मूंगे के दोष-श्वेत छींट वाला, धुना, दोरंग, गड्ढे वाला, धब्बा और चीरवाला तथा लाख के रंग वाला मूंगा दूषित होता है। अंगभंग, गड्ढेदार, दोरंगा मूंगा, सुख सम्पत्ति को नष्ट करता है। श्वेत छींट वाला मूंगा सुखरहित होता है तथा काले धब्बे वाला मूंगा मृत्यु समान कष्ट देता है। अतः इन दोषों से रहित मूंगा अच्छी तरह परख कर लेना चाहिये।
मूंगे का उपयोग-मूंगे के दानों की मालायें व अंगूठी भी बनायी जाती है। चिकित्सा में इसकी भस्म व पिष्टी का उपयोग करते हैं। विशेषकर मूंगा का उपयोग मंगल ग्रह की शान्ति के लिये किया जाता है। मूंगे को धारण करने से निम्न बाधायें दूर भागती हैं-मृगी, नजर दोष, भूत-प्रेत । यह आँधीतूफान आदि के विनाशकारी प्रभाव को नष्ट करता है।
४. पन्ना रत्न (Emerald) यह हरे रंग की मणि होती है। जिसका स्वामी बुध ग्रह है। इस मणि रत्न को हिन्दी में पन्ना, फारसी में जुमुर्रद कहते हैं। यह रत्न हिमाचल,
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