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________________ ★ रत्न उपरल और नग नगीना ज्ञान ★ ८७ माणिक्य के अन्य दोष - माणिक्य में निम्न दोष भी पाये जाते हैं, दोषयुक्त धारण कभी नहीं करना चाहिये, क्योंकि इससे लाभ तो मिलता नहीं अपितु हानि ही होती है । १. अशुद्ध माणिक्य चमकदार नहीं होता है। इससे किसी भी प्रकार की किरणें नहीं दिखायी पड़तीं । अतः इसे सुन्न माणिक्य भी कहते हैं । २. जो शर्करा के समान अथवा बालूकण के समान किरकिरा हो या चुरचुरा हो । ३. दूधक: जिस माणिक्य का रंग दुग्ध वर्ण का हो अर्थात् उस पर इसके रंग के तरह छींटे हों । ४. मटमैला : जिस माणिक्य का रंग खराब - सा प्रतीत हो । ५. त्रिशूल: जिसमें त्रिकोण, त्रिभुज या त्रिशूल की तरह का चित्र हो । ६. रंगाधिक्य : जिनमें दो या दो से अधिक रंग हों । ७. जालक : जिस माणिक्य में रेखायें टेढ़ी-मेढ़ी खींची होकर मकड़ी का जाल सा बनाती हों । ८. धूम्रक : जिस माणिक्य में धुयें के रंग के समान रंग हो । ९. हल्कापन : जो माणिक्य अपने आकार के अनुसार से ज्यादा भारी होने के बदले हल्का हो । १०. चीरित : जिस माणिक्य में धन (+) का निशान की तरह कटा हो अथवा चीरा लगा हो । ११. गड्ढा : जिस माणिक्य में गड्ढा हो या फिर टूटा हुआ हो । १२. शहद : जो माणिक्य शहद के रंग के समान का हो अथवा इस पर शहद की भाँति छींटे हों । १३. परत : जिस माणिक्य में अभ्रक की परत सी दिखायी देती हो । नकली (इमीटेशन) माणिक्य - जिस तरह अन्य रत्नों में नकली रत्न पाये जाते हैं। वैसे ही माणिक्य भी नकली पाया जाता है। नकली माणिक्य प्रायः दो प्रकार के होते हैं - १. नकली (इमिटेशन) माणिक्य, २ . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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