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________________ ८२ रत्न नाम स्वामी राशि ग्रह १. माणिक्य सूर्यकान्त सूर्य लालड़ी २. मोती ३. मूँगा ४. पन्ना ५. पुखराज ६. हीरा ७. नीलम ८. गोमेद उपरल चन्द्रकान्त चन्द्र शंखमुक्ता तामड़ा विद्रुम ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ जबरजद्द बुध संगपन्नी संग तुरसावा कैटला शनि संगलीली ९. लहसुनिया संग सुनहला बृहस्पति धनु कहरवा गोदन्ती सिंह मंगल मेष, जिरकॉन शुक्र वृषभ, संगतुरमुली तुला मकर कर्क Jain Education International वृश्चिक मिथुन, कन्या राहु कुम्भ केतु मीन जन्म तिथि १५ अग. से १४ सितं. १५ जुलाई से १५ अग. १५ मई से १४ जून, १५ अक्तू. से १४ नवं. १५ जन. से १४ फर. नवरत्न १५ नवं. से १४ दिसं., ६ रत्ती १५ अप्रैल से १४ मई न्यूनतम धातु वजन ३ रत्ती स्वर्ण १५ जून से १४ जुलाई, ३ रत्ती १५ सितं. से १४ अक्तू. १५ दिसं. से १४ जन. १५ फर. से १४ मार्च २ रत्ती For Private & Personal Use Only ३ रत्ती १ रत्ती ४ रत्ती चाँदी लोहा, सीसा पंचधातु १५ मार्च से १४ अप्रैल ४ रत्ती पंचधातु ४ रत्ती स्वर्ण सोना व कांसा चाँदी सोना, चाँदी माणिक ही धारण करना चाहिये । इसे अँगूठी में जड़वाकर, भुजा में भुजबन्द में जड़वाकर तथा गले में माला बनवाकर पहनना चाहिये । इसे धारण करने से वंशवृद्धि, सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति और अन्न, धन का संग्रह अधिक होता है । इससे भय बीमारियाँ तथा अनेक दुःख व कष्ट दूर होते हैं । विप्र वर्ण और सफेद रंग की झाईंवाली माणिक्य को ब्राह्मण धारण करें तो वह वेदपाठी, बुद्धिमान और सुखी होता है। क्षत्रिय वर्ण की मणि ब्राह्मण को बुद्धिमान और वीर बनाती है तो क्षत्रिय को विजय प्राप्त कराती www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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