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★ रत्न उपरल और नग नगीना ज्ञान * उच्च का होकर लाभ ज्यादा करेगा। - निम्नलिखित क्रम से प्रत्येक ग्रह एक-दूसरे का बल नष्ट करता
है-सूर्य का बल शनि से, शनि का मंगल से, मंगल का बुध से, गुरु का शुक्र से, शुक्र का चन्द्र से, बुध का गुरु से, चन्द्र का
मंगल से नष्ट होता है। - निम्नलिखित क्रम से ग्रह एक-दूसरे से अधिक बलवान माने
जाते हैं-शनि से मंगल, मंगल से बुध, बुध से गुरु, गुरु से शुक्र, शुक्र से चन्द्र, चन्द्र से भौम, सूर्य से शनि, केतु सबका बल कम
करता है। * निम्न प्रकार से ग्रहों का दोष शमन होता है-राहु का दोष बुध
से, मंगल-बुध-राहु-शनि का दोष गुरु से, राहु तथा बुध का दोष शनि से, मंगल-बुध-गुरु-शुक्र-शनि-राहु का दोष चन्द्रमा से, बुध-शनि एवं राहु का दोष मंगल से, मंगल-बुध-शनि-राहु का दोष शुक्र से होता है। राहु-बुध-शनि-शुक्र-गुरु-मंगल एवं चन्द्र का दोष सूर्य से होता है। उत्तरायण का सूर्य सब दोषों का शमन
करता है। इस प्रकार ज्योतिष में रत्नों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
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