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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * मंगल रत्न 'प्रवाल' मूंगा की धारण विधि
कुछ व्यक्ति मूंगे की माला भी बनाकर पहनते हैं तथा अंगूठी भी। मूंगा कम से कम ८ रत्ती का और अधिक से अधिक ९, ११ अथवा १२ रत्ती के मूंगे को कम से कम ६ रत्ती स्वर्ण अंगूठी में जड़वाना चाहिये। मंगलवार के दिन मेष या वृश्चिक राशि पर चन्द्रमा हो अथवा मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा अथवा अनुराधा नक्षत्र हो तब प्रातःकाल से ११ बजे के मध्य सोने की अंगूठी बनवाकर मूंगे को इस तरह जड़वाना चाहिये कि मूंगे का निचला भाग अँगुली की त्वचा से स्पर्श करता रहे । अँगूठी तैयार होने के बाद प्रातः ११ बजे भौम यज्ञ कराना चाहिये। इसके लिये ताम्रपत्र पर खुदे मंगल यंत्र पर मूंगे जड़ित अंगूठी रखकर उसका विधिनुसार पूजन करें, फिर मंगल मन्त्र"ॐ अग्निर्मूर्द्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्याऽअयम्। अपाय रेता ७ सि जिन्वति। श्री भौमाय नमः।" का यथाशक्ति जप करना चाहिये। फिर ब्राह्मण द्वारा 'ॐ भौं भौमाय नमः'। मन्त्र का जप करते हुये ७०० आहुति देकर हवन करें। इसके बाद अंगूठी में मंगल ग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा कर बायें हाथ की मध्यमा अँगुली में अंगूठी को धारण करना चाहिये। उस कर्मकाण्ड करने वाले ब्राह्मण को लाल वस्त्र, गुड़, गेहूँ तथा यथाशक्ति दान कर भौम यन्त्र को भी दान कर देना चाहिये।
उपर्युक्त प्रकार से धारण की गई अँगूठी मंगलकृत अनिष्ट को नष्ट कर जीवन को सुखपूर्ण बनाती है।
बुध रत्न 'पन्ना' की धारण विधि ___ अंगूठी में जड़वाने के लिये ३ रत्ती से जितना ऊपर अर्थात् जितना अधिक वजन का पन्ना होगा उतना ही शुभकारी होता है। किसी भी दशा में पन्ना का वजन ३ रत्ती से कम नहीं होना चाहिये और अंगूठी का वजन भी ३ रत्ती से कम नहीं होना चाहिये। बुधवार के दिन मिथुन या कन्या राशि की प्रबलता पर अथवा आश्लेषा, ज्येष्ठा अथवा रेवती नक्षत्र व बुध के या सूर्य के नवमांश में बुध हो तो प्रातः सूर्योदय से लेकर मध्यान्ह दस बजे के बीच सोने की अंगूठी में पन्ना जड़वा कर तैयार करवानी चाहिये तथा अँगूठी इस प्रकार
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