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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * है। कोई भी कष्ट या रोग आने से पहले यह रत्न अपना रंग बदल लेता है। नेत्र रोग, सौन्दर्य, सिर दर्द, विषादि रोगों में विशेष लाभकारी रहता है।
ओपल (Opal)- यह भी शुक्र का अन्य उपरत्न है, इसको धारण करने से सदाचार, सदचिन्तन तथा धार्मिक कार्यों की ओर रुचि रहती है।
शनि-रत्न नीलम (Sapphire) नीलम शनि ग्रह का मुख्य रत्न है। हिन्दी में नीलम तथा अंग्रेजी में सैफायर (Saphire) कहते हैं।
पहचान-असली नीलम चमकीला, चिकना, मोरपंख के समान वर्ण जैसा, नीली किरणों से युक्त एवं पारदर्शी होगा।
परीक्षा१. असली नीलम को गाय के दूध में डाल दिया जाए तो दूध का रंग
नीला लगता है। २. पानी से भरे कांच के गिलास में डाला जाए नीली किरणें दिखाई
देंगी। ३. सूर्य की धूप में रखने से नीले रंग की किरणें दिखाई देंगी।
गुण-नीलम धारण करने से धन-धान्य, यश-कीर्ति, बुद्धि चातुर्य, नौकरी, व्यवसाय तथा वंश में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य सुख का लाभ होता है।
ध्यान रहे, बहुधा नीलम चौबीस घण्टे के भीतर ही प्रभाव करना शुरू कर देता है। यदि नीलम अनुकूल न बैठे तो भारी नुकसान की आशंका हो जाती है। अतएव परीक्षा के तौर पर कम से कम ३ दिन तक पास रखने पर यदि बुरे स्वप्न आएँ, रोग-उत्पन्न हो या चेहरे की बनावट में अन्तर आ जाए तो नीलम मत पहनें।
रोग शान्ति-नीलम धारण करने या औषधि रूप में ग्रहण करने से दमा, क्षय, कुष्ट रोग, हृदय रोग, अजीर्ण, मूत्राशय सम्बन्धी रोगों में लाभकारी है।
धारण विधि-नीलम ५, ७, ९, १२ अथवा अधिक रत्ती के वजन का, पंचधातु, लोहे अथवा सोने की अंगूठी में शनिवार को शनि की होरा में
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