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________________ ४६ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * परीक्षा १. धूप में यदि हीरा रख दिया जाए तो उसमें से इन्द्रधनुष जैसी किरणें दिखाई देती हैं। २. तोतले बच्चे के मुँह में रखने से बच्चा ठीक से बोलने लगता है। ३. अन्धेरे में जुगनू की भान्ति चमकता है। गुण-हीरे में वशीकरण करने की विशेष शक्ति होती है। इसके पहनने से वंश-वृद्धि, धन-लक्ष्मी व सम्पत्ति की वृद्धि, स्त्री एवं सन्तान सुख की प्राप्ति व स्वास्थ्य में लाभ होता है। वैवाहिक सुख में भी वृद्धिकारक माना जाता है। औषधीय गुण-हीरे की भस्म शहद-मलाई आदि के साथ ग्रहण करने से अनेक रोगों में लाभ होता है जैसे-दौर्बल्यता, नपुंसकता, वायु प्रकोप, मन्दाग्नि, वीर्य विकार, प्रमेह दोष, हृदय रोग, श्वेत प्रदर, विषैला व्रण, बच्चों में सूखा रोग, मानसिक कमजोरी इत्यादि। __ धारण विधि-शुक्ल पक्ष के शुक्रवार वाले दिन, शुक्र की होरा में, भरणी, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, एक रत्ती या उससे अधिक वजन का हीरा सोने की अंगूठी में जड़वा कर शुक्र के बीज मन्त्र “ॐ द्रां, द्रीं, द्रौं सः शुकाय नमः" का १६,००० की संख्या में जाप करके शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए। हीरा मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। धारण करने के दिन शुक्र ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएँ जैसे दूध, चांदी, दही, मिश्री, चावल, श्वेत वस्त्र, चन्दनादि का दान यथाशक्ति करना चाहिए। हीरा (धारण करने की तिथि से) सात वर्ष पर्यन्त प्रभावकारी बना रहता है। हीरा वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ राशि वालों को लाभदायक रहता है। शुक्र के उपरत्न फिरोजा-नीले आकाशीय रंग जैसा यह नग शुक्र का उपरत्न माना जाता है। यह रत्न भूत, प्रेत, दैवी आपदा तथा आने वाले कष्टों से धारक की रक्षा करता है। यदि इस रत्न को कोई भेंटस्वरूप प्राप्त करके पहनेगा तो अधिक प्रभावशाली रहेगा। हल्के-प्रखर चमकदार रंग वाला रत्न उत्तम होता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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