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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * रंग की कमी से बुखार, कफ, खांसी, जुकाम, मानसिक विकृति, लीवर, पेशाब में गड़बड़ी, दस्त आदि हो जाते हैं।
नारंगी रंग को ब्रोन्काइटिस (साँस उठना) गीला कफ, जुकाम, बुखार, गाल ब्लेडर स्टोन, किडनी, स्त्रियों के मासिक धर्म की गड़बड़ी में कष्ट निवारक माना गया है।
नीला रंग (संचालक-शुक्र) यह रंग जल तत्त्व है। इसका रत्न हीरा है। इस रंग की कमी के कारण गुप्तांगों में तकलीफ, नपुंसकता, मधुमेह, स्त्रियोचित रोग, चर्म रोग, प्रजनन अंगों में बीमारियाँ आदि हो जाती हैं।
यह रंग व्यक्ति में संगीत व कला के प्रति रुचि पैदा करता है। यह रंग शक्ति प्रदान करता है तथा जातक भी शान्ति की चाह अधिक रखता है। इस रंग की अधिकता वाले मित्रवत्, समझौतावादी, सामाजिक होते हैं।
इस रंग की अधिकता वाली वस्तुएँ सुन्दर होती हैं। आँखों को भली लगती हैं क्योंकि यह शुक्र नियन्त्रित रंग है।
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