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________________ ३८ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * चन्द्रकान्त मणी, टोपाज, पुखराज आदि शरीर के अन्दर आसमानी रंग पहुँचाने के सीधे व सरल तरीके हैं। आसमानी रंग की कमी के कारण-गले का रोग, टाइफाईड, हैजा, प्लेग, हिस्टीरिया, पीलिया, दस्त, दाँत का दर्द, टान्सिल्स आदि हो जाते हैं। पीला रंग (संचालक-मंगल) यह रंग अग्नि का तत्त्व है तथा शरीर में गर्मी को बराबर बनाए रखता है। इसका रत्न मूंगा है और स्वामी मंगल है। यह विलक्षणता का प्रतीक है। पीला रंग वैज्ञानिक मानसिकता का द्योतक है। यह सम्पत्ति तथा सुखद वैवाहिक जीवन देता है। ___ मूंगा पहनने से व्यक्ति के अन्दर की हीनभावना समाप्त हो जाती है। प्रजनन के समय मूंगा पहनने से किसी प्रकार की बुरी नजर का डर नहीं रहता तथा प्रसव में कष्ट कम होता है। यह रंग व्यक्ति को साहसी, अभिलाषी बनाता है। पीले रंग की कमी के कारण पेट में दर्द, किडनी में दर्द, पीलिया, रक्त-विकार, प्लूरीसी, निराशा आदि बीमारियाँ हो जाती हैं। नारंगी रंग (संचालक-चन्द्र) यह रंग जल तत्त्व है। यह विवाह के देवता का रंग है; इसीलिए शादी के समय भारत में केसरिया/नारंगी रंग के कपड़े पहने जाते हैं। यह रंग उच्च अभिलाषा का प्रतीक है। इसका रत्न मोती है। यह प्रिज्मीय रंग नारंगी है। चन्द्र जन्म से लेकर सात साल तक तो पूरी तरह मानव-शरीर पर नियन्त्रण रखता है। अतः बच्चे की हर क्रिया-कलाप में चन्द्र का हाथ होता है। सूर्य मानव-शरीर में जान देता है तो चन्द्र मानव-शरीर में ऊर्जा संचारित करता है। नारंगी रंग मनुष्य को मीठा स्वभाव, धैर्यवान, सहनशील, बहस से दूर, दयालु बनाते हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव भी देखने पड़ते हैं। नारंगी रंग ठण्डा होता है। अतः सीधा व सरल तरीका मोती पहनाने से गर्मी से पैदा हुए कष्ट निवारण में सहायक है, जैसे-हृदय रोग आदि। नारंगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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