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________________ १६० * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * ज्योतिषीय विचार-चन्द्र, बृहस्पति तथा सूर्य नीच राशि में हों, चन्द्रमा बलवान हो लेकिन राहु और शनि भी साथ हों, कर्क या कन्या लग्न का मंगल नीच का हो तथा मकर, कुम्भ या मीन राशि हो तो एलर्जी के प्रभाव एवं प्रकोप की अधिक सम्भावना होती है। शीतल प्रकृति के रत्न धारण करें, उत्तम रंग का मणिक्य या पुखराज धारण करना लाभदायक होगा। एक्जीमा इस रोग में त्वचा पर जलन होने लगती है और तेज खुजली भी होती है। लगातार खुजलाने पर प्रभावित अंग पर घाव हो जाते हैं। अक्सर एलर्जी के कारण एक्जीमा हो जाता है । इस रोग का उपचार तत्काल कराना चाहिये अन्यथा इसमें आस-पास की त्वचा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ज्योतिषीय विचार-मंगल के पीड़ित या दूषित होने की स्थिति में तथा सूर्य-मंगल के योग में एक्जीमा होने के निश्चित आसार रहते हैं । त्वचा का स्वामी शुक्र है, जब यह मंगल या बृहस्पति से पीड़ित होता है तो चर्म (त्वचा) रोग (एक्जीमा) होने की सम्भावना होती है। तुला राशि का शुक्र, मकर का बृहस्पति तथा मंगल योग भी एक्जीमा के कारक हैं । त्वचा रोग के लिए हीरा अथवा ३ रत्ती से अधिक का मोती धारण करें। जलन किसी भी कारण त्वचा में जलन हो तो व्यक्ति को बेचैनी का अनुभव होता है। जलन किसी भी प्रकार की हो सकती है, आग से भी और बर्फ से भी। यदि अम्ल या तीव्र रसायन पदार्थ भी किसी अंग पर गिर जाये तब भी जलन होती है। यदि जलन ज्यादा हो तो छाले भी हो जाते हैं। हल्की जलन केवल बाह्य त्वचा प्रभावित करती है, किन्तु जलन यदि अधिक है या गम्भीर प्रकार की हो तो चिकित्सक से उपचार कराना आवश्यक है। ज्योतिषीय विचार- अग्नि तथा आग्नेय दुर्घटनाओं का कारक मंगल है। शनि और राहु जब एक साथ या अकेले ही पहले, दूसरे, चौथे, सातवें या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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