SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५९ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ अनामिका में पुखराज धारण करें। लाल मूंगा गले में धारण करें। हीरा तथा माणिक्य भी अलग-अलग हाथों की अंगुलियों में धारण करें। पथरी इस रोग में पित्ताशय में अत्यन्त सूक्ष्म आकार के पत्थर से बन जाते हैं। जो शरीर में स्थित कोलेस्ट्रॉल तथा चूने का अंश होते हैं। प्रारम्भिक अवस्था में इस रोग के लक्षण स्पष्ट नहीं होते तथा न ही रोगी को किसी प्रकार की पीड़ा होती है। रोग जब बढ़ जाता है, तब रोगी को वमन व दर्द आदि की शिकायत होती है। पित्ताशय में सूजन भी आ जाती है और पाचन शक्ति का असंतुलित हो जाना इस रोग के लक्षण हैं । इस रोग को ऑप्रेशन के द्वारा ठीक किया जाता है। __ ज्योतिषीय विचार-लग्न या सातवें भाव में यदि पाप ग्रह या नीच राशि हो तो इस रोग से रोगी को अधिक कष्ट होता है। कर्क राशि का शनि और मकर राशि में ग्रह बैठे हों, तुला राशि का सूर्य तथा मीन राशि में अनेक ग्रह बैठे हों तो भी पथरी होने की अधिक सम्भावना होती है। नीला पुखराज, लाल मूंगा तथा मूनस्टोन धारण करें, यदि कष्ट कम न हो तो माणिक्य या मोती धारण करें, लाभान्वित होंगे। एलर्जी लगभग प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी रूप में एलर्जी रोग होता ही है। इसमें किसी वस्तु विशेष के प्रति अरुचि हो जाती है। जिस वस्तु से एलर्जी हो जाती है उसके सम्पर्क में आने पर एक्जीमा, मूर्छा, तेज बुखार तथा सिरदर्द आदि जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। एलर्जी किसी से भी हो सकती है। जैसे-प्रतिजैविक औषधि (एण्टीबायोटिक), खूशबू (परफ्यूम, इत्र) मिर्चमसाले, हेयर डाई, क्रीम, पाउडर तथा अन्य प्रसाधन आदि ऐसी असंख्य वस्तुयें हैं जिनके कारण किसी व्यक्ति को एलर्जी हो सकती है। यह रोग वंशानुगत भी पाया गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy