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रोग में रत और ज्योतिष विचार
शीतज्वर इसे जूड़ी के बुखार के नाम से अधिक जाना जाता है। इस रोग में पूरे शरीर में कपकपी के साथ तेज बुखार के लक्षण स्पष्ट होते हैं । यह मलेरिया का विकृत रूप है। इस रोग की वजह है-मलेरिया ज्वर का ठीक प्रकार से इलाज नहीं हो पाता । शरीर में लाल रक्त कणों की कमी के कारण भी शीत ज्वर होता है। इसके अलावा टी.बी., एड्स तथा कैन्सर आदि जैसे रोगों के प्रारम्भिक लक्षण शीत ज्वर के रूप में प्रकट होते हैं। इसका इलाज तुरन्त करना चाहिये।
__ ज्योतिषीय विचार-जिन व्यक्तियों का चन्द्र या जन्म लग्न क्षीण हो उन्हें शीत ज्वर होने की सम्भावना अधिक रहती है। मंगल और सूर्य का दुष्प्रभाव शीत ज्वर का योग बनाता है। छठे, आठवें तथा बारहवें भाव में बैठा बृहस्पति भी इस रोग को बढ़ाने कारण है। ७-८ रत्ती का माणिक्य चाँदी की अंगूठी में धारण करें। मंगल की शान्ति के लिये ताँबे का कड़ा, अंगूठी या कोई अन्य आभूषण धारण करें। वस्त्रों में किसी भी प्रकार से लाल रंग का यथासम्भव समावेश रखें। मंगल यन्त्र का नित्य पूजन करें।
सिरदर्द सिरदर्द कोई रोग नहीं है। यह प्रायः रोज ही किसी कारणवश हो जाता है। सिरदर्द हर प्राणी को कभी भी हो जाता है। इसका कारण जैसे चिन्ता, तनाव, लगातार परिश्रम करना, नींद न आना आदि। तेज धूप में काम करना
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