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________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ १५३. बहुरंगी - ओपल श्रेणी के सभी रत्नों में इस प्रकार की रंगीन छटा होती है । रत्नों को प्रकाश में इधर-उधर घुमाने या हिलाने-डुलाने पर बहुत से रंगों की आभा नजर आती है । जगमगाहट - जिन रत्नों में रासायनिक अथवा भौतिक प्रक्रिया के फलस्वरुप प्रकाश के प्रभाव से उसमें जगमगाहट उत्पन्न हो जाय उन रत्नों को प्रकाश के वर्तनांक श्रेणी का रत्न माना जाता है । परन्तु इसमें जगमगाहट ताप उत्सर्जन सम्मिलित नहीं है। इन्फ्रारेड किरणें डालने पर रत्नों की जाँच-परख के जो परिणाम निकलते हैं वे सिद्धान्ततः प्रतिदीप्ति कहलाते हैं । इस प्रक्रिया द्वारा रत्न की आभा या जगमगाहट देखी जाती है । कुछ ही रत्न ऐसे होते हैं जिनमें कोई अपमिश्रण या कोई दूसरा पदार्थ नजर नहीं आता है। ये ही शुद्ध रत्नों की श्रेणी में आते हैं। हीरे में शुद्धता ही सबसे पहली परख होती है । उत्तम श्रेणी के रत्नों में कोई मिलावट नहीं होती । यदि उन्हें दूरबीन - यन्त्र की सहायता से देखा जाये तो उनके बाहरी व आन्तरिक आवरण बिलकुल साफ दिखायी देंगे । किस कार्य के लिए कौन-सा रत्न पहनें ? शीघ्र विवाह के लिए मूँगा पहनें। (स्त्रियों के लिए) चन्द्रकान्त । (पुरुषों के लिए) परीक्षा में पास होने के लिए पन्ना + मूँगा + पुखराज पहनें। लहसुनिया + पुखराज + पन्ना पहनें । हीरा पन्ना + पुखराज पहनें। व्यापार में सफलता के लिए Jain Education International सर्विस में तरक्की के लिए For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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