SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 149
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४८ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ जाता है। कुछ मूल्य का १० से २५ प्रतिशत तक किराया लिया जाता है। अधिक दिन के लिए नग का लेना या प्रतिशत कम या नहीं लेना आपके व व्यापारी के सम्बन्धों पर निर्भर करता है। २०. अंगूठी में नग जड़ने के बाद उसको निकालने पर नग वापसी नहीं होता २१. आमतौर पर रत्न का वजन कम से कम ३ रत्ती होना चाहिए। फिर भी सामान्यत: जातक के भारानुसार पहनाने पर अधिकांश विद्वानों की एक सहमति है अर्थात् १ रत्ती = १० किलो। २२. नगों की भंगुरता, टूटना, ज्यादातर उसकी जाति के अनुसार होता है। सबसे ज्यादा भंगुर नग पन्ना, गोमेद तथा जरकिन होते हैं। २३. हिन्दू शास्त्र के अनुसार रत्न मां लक्ष्मी के अंश होते हैं । रत्न व उपरत्न दो तरह के होते हैं। उपरत्न भी पत्थर के ही होते हैं। २४. रत्न का असर इंजेक्शन की तरह होता है जबकि उपरत्न का असर टेबलेट की तरह। २५. ऐसा नहीं कि रत्न सदा बहुमूल्य होते हैं बल्कि सस्ते भी होते हैं। २६. जो रत्न अत्यन्त साफ-सुथरे, चमक-दमक वाले होते हैं, वे अनमोल होते हैं। २७. जो रन अपेक्षाकृत अधिक साफ-सुथरे, चमक-दमक वाले होते हैं वे बहुमूल्य होते हैं। २८. जो रत्न आकार या वजन में बड़े व भारी होते हैं वे भी अपने समकक्ष रत्नों से अधिक मूल्य के होते हैं। (सात रत्ती या इससे ऊपर)। २९. रत्नों का मूल्य इनकी चमक-दमक, सफाई, कटिंग, रंग-रूप आदि पर निर्भर करता है। ३०. पन्ना साफ नहीं मिलता है। यदि साफ मिले तो बहुमूल्य होता है। ३१. यदि माणिक्य बिल्कुल लाल हो तो वह 'लाल मणि' कहलाती है तथा अनमोल है। ३२. हीरा, नीलम, पुखराज साधारणतया मूल्यवान होते हैं । अत: आप इनको खरीदने से पहले उपरत्न पहनें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy