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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★
अपारदर्शी तथा पारदर्शी दोनों ही प्रकार का होता है ।
हकीक पत्थर में प्रायः डोरियाँ या पट्टियाँ-सी पड़ी होती हैं, जो कभी तो स्पष्ट होती हैं तथा कभी अस्पष्ट होती हैं अर्थात् किसी पत्थर पर तो ये स्पष्ट रूप से नंगी आँख से देखने पर ही दृष्टिगोचर हो जाती हैं, किन्तु किसी पत्थर पर यह अस्पष्ट होती हैं तथा सूक्ष्म दर्शक यन्त्र के द्वारा ही दिखाई देती हैं। हकीक प्रायः कई रंगों में पाया जाता है। इनमें दूधिया, सफेद, लाल, पीला, भूरा, हरा, नीला, काला आदि कई रंग होते हैं। हकीक पत्थर काफी कठोर होता है। इसी कारण यह मूर्तियाँ बनाने तथा नक्काशी के काम में भी आता है। इसके अतिरिक्त आभूषणों आदि में भी प्रयोग होता है ।
हकीम ज्वालामुखी पर्वतों से निकली पुरानी लावा या उससे बनी शिलाओं की दरारों में प्राप्त होते हैं। हकीक पत्थर सिलिका के जमाव से बनते हैं। इसीलिए कभी-कभी इनकी सतह पर प्राकृतिक रूप से बड़े सुन्दर डिजाइन बन जाते हैं। विदेशों में अच्छे हकीक प्रायः ब्राजील, युरुग्वे, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि में प्राप्त होते हैं। भारत में हकीक विभिन्न स्थानों में विभिन्न नदियों की तलहटियों से भी प्राप्त होते हैं। भारत में यह पत्थर होशंगाबाद में नर्मदा की सहायक नदियों से प्राप्त होता है । दक्षिण भारत में हकीक कृष्णा तथा गोदावरी नदियों से प्राप्त होता है। इसी प्रकार हकीक काश्मीर, बिहार, मध्य प्रदेश तथा गुजरात में भी कुछ स्थानों पर प्राप्त होता है।
ज्योतिष की दृष्टि से विभिन्न राशियों पर, विभिन्न ग्रहों की शान्ति के लिए हकीक का प्रयोग किया जाता है। जैसाकि हम पहले कह चुके हैं कि हकीक प्रायः अनेक रंगों में मिलता है । अतः इसके इन्हीं रंगों के आधार पर ही विभिन्न ग्रहों और राशियों पर इनका प्रयोग किया जाता है । सुलेमानी, जजेमानी, हकीक यमनी आदि हकीक के ही भेद होते हैं। हकीक के विषय में कहा जाता है कि हकीक हक दिलाने वाला रत्न होता है। अनेकों बार ऐसा भी देखने में आया है कि यदि किसी व्यक्ति ने हकीक पहना हुआ है और उस पर कोई आपत्ति आने वाली है तो हकीक फट जाता है। एक प्रकार से हकीक आने वाली विपत्ति की सूचना देता है । साथ ही व्यक्ति के ग्रह को
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