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________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १२१ चन्द्रमणि के संग दो तरह के होते हैं-(१) सफेद नरम संग (२) संग गौरी। संग सफेद नरम-चमकदार सफेद पुखराज संग नरम, चिकना पानीदार होता है। जो हिमालय, लंका, विन्ध्याचल, रामेश्वर, महानदी और आसाम में पैदा होता है। संग गौरी-यह सफेद रंग पर नीला या सफेद डोरा अथवा चक्रसा, चमकदार, चिकना और नरम होता है। इस संग गौरी की थाली में भोजन रखकर दें यदि भोजन में विष मिला हो तो थाली टूट जायेगी। यह नर्मदा, सिन्धु ताप्ती हिमालय की खानों में पैदा होता है। इस पर गौरी शंकर की मूर्ति होती है। घृतमणि या जबरजद्ध घृतमणि उपरत्न को फारसी में जबरजद्ध और हिन्दी में 'कारकौतुक' कहते हैं। इसे 'गरुड़मणि' भी कहते हैं। यह हिमालय, त्रिकूट, महानदी, गंगा, सिन्धु तट तथा द्रोणाचल प्रदेश में पैदा होता है। इसका रंग हरा, पीला, सुर्ख तथा कुछ सफेदी लिये होता है। मधु, काला रंग मिला हो और मोटे पिस्ते के समान छींटा होता है। ___ जबरजद्ध, अबरखा आदि रत्नों में निम्न दोष होते हैं। इसलिये दोषरहित मणि देखकर लेना चाहिये। इसके धारण करने से सुख-सम्पत्ति, धन पुत्र आदि की वृद्धि होती है। सभी मनोकामनायें पूर्ण होते हैं। गरुड़ पंख के रंग वाली मणि की माला बनवाकर पहनने से बच्चे को नजर नहीं लगती। मिथुन राशि पर सूर्य और चन्द्र होने पर इस चाँदी के अँगूठी में लगवाकर पहने। कन्या राशि पर जब बुध चन्द्र ग्रह हो तो सोने की अंगूठी में जड़वाकर दाहिने हाथ में छोटी अंगुली में पहने। जबरजद्ध बहुत ही लाभकारी मणि है। इसकी स्वामिनी श्री जगदम्बा हैं। माता और हनुमान जी के मन्त्र का इसकी माला जप करने पर अनेकानेक सिद्धियाँ प्राप्त होती है। जबरजद्ध मणि के तीन संग हैं-(१) हरी तिरमुली, (२) संग धुनैला, (३) संग पिस्तई। संग हरी तिरमुली-यह साफ, चमकदार हरे रंग का संग है जो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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