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________________ ११८ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ हरा, सफेद और पीला होता है। जो हिमालय, विन्ध्यप्रदेश, गिरनार, आबू, बर्मा, इरावती नर्मदा आदि नदियों तथा घने जंगलों में पाया जाता है । संग पन्नी - यह मोटापन और बीच में सफेद धब्बे लिये होता है । यह बर्मा, हिमालय, स्याम, लंका, नैमिषारण्य में पैदा होता है । यह भी पन्ने की तरह शोभित और लाभप्रद होता है । संग मरगज - यह चिकना हरे रंग का सफेदी लिये होता है । जो खम्भात, यमुना प्रान्त, विन्ध्य, हिमालय प्रदेश, गंगा घाट, नर्मदा, गुजरात और तुर्किस्तान में पैदा होता है । गुरु उपरत्न- पुखराज के संग (Amber) संग सोनेला - पुखराज का उपरत्न उसके संगों में 'संग सोनेला' साफ, चिकना, सुनेहरा और सफेद होता है। जो फिरंग, तुर्किस्तान, हिमालय, शिप्रा में पाया जाता है । इसकी छवि पुखराज के समान होती है । संग कहरवा - यह चिकना चमकदार और हल्का पीला होता है। जो चीन, ईरान, फिरंग देश, बर्मा, हिमालय आदि पर्वतों की खानों में पैदा होता है । शुक्र उपरत्न- हीरे के संग (Opal, Florite Zircom) संग दतला - यह सफेद चमकदार चिकना और हल्का होता है। जो बर्मा, सिन्धु नदी और हिमालय में होता है । संग काँसला - यह सफेद, गुलाबी रंग का अधिक चिकना, पानीदार और चमकदार होता है। जो नेपाल, हैदराबाद, कोसल प्रदेश और सोन, ब्रह्मपुत्र, गंगा, सिन्धु नदियों में पैदा होता है । संग तुरमुली - इसका रंग सफेद, गुलाबी, श्याम और पीला होता है। जो कावेरी, गंगा वेग नदी, कामरूप, विन्ध्य, हिमालय और लंका में पैदा होता है । संग सिमाक - यह बहुत चिकना, हल्का सुर्ख गुलाबी और हरे रंग For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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