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________________ ५२३. परिशिष्ट ३१. एकत्रीसमु बोल हवइ एकत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। प्रतिमा चउवीस मांहिं केही प्रतिमा मूलनायक कीजइ, केही वड़ी केही लुढी? मूलनायक नी आभरण सूकडि भोग फूल घणां चढइ अनइ बीजी प्रतिमानइं थोड़ा चढ़इ, मूलनायकनी प्रतिमा ठाकरथइ बैठी, बीजी प्रतिमा पाखती बइठी, मूल नायक नी प्रतिमा उंचइ आसणि बइसारीइ। तीर्थंकर सघला सरखा तु एवडु अन्तर कांइ करइ? एह एकत्रीसमु बोल। ३२. बत्रीसमु बोल हवइ बत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। तीर्थंकर, शरीर ऊंचउं, जघन्यइ सात हाथ प्रमाण, उत्कृष्टउ पांच सइ (५००) धनुष प्रमाण एह प्रमाण माहिं प्रतिमा केहइ प्रमाणइं करावीइ? किम कहिउं छइ? एह बत्रीसमुं बोल। ३३. तेत्रीसमो बोल ___ हवइ तेत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। प्रतिमा अणप्रतिष्ठी पूजतां स्युं हुइ? अनइ प्रतिष्ठ्यां पूठइ पूजतां स्युं हुई? प्रतिष्ठी प्रतिमा मांहिं कीहा गुण आव्या ज्ञान ना, दर्शनना, चारित्रना, तपना? पूजनीक तउ गुण बोल्या छइं। प्रतिमा प्रतिष्ठ्यां पूठई केहा गुणआव्या ? जेहवी अणप्रतिष्ठी हती तेहवी दीसइ छइ। एइ तेत्रीसमु बोल। ३४. चउत्रीसमु बोल. हवइ चउत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। प्रतिमा आगलि ढोइ छइ-धान, फूल, वस्त्र, सोनां, रूपा, बलि बाकुला पकवान, तेह मालीनइ आपीइ, के नापीइ? तेह द्रव्यं स्युं कीजइ? व्याजई दीजइ? के व्यवसाय कीजइ? किम करी वघारीइ? सिद्धान्त माहिं किम कहिउं छइ? एह चउत्रीसमु बोल । ३५. पांत्रीसमु बोल हवइ पांत्रीसमु बोल लिखीइ छ । अट्ठोत्तरी सनाथनी विधि, आरती मंगलेषु, पहिरामणी नी विधि, जेह लूण सचित्त अगनिमाहिं होमीइ छइ, तेह सघली विधि किहां सिद्धान्तमाहिं कही छइ? ते काढ़ि देखाउ । सिद्धान्त माहिं श्रावका नई इग्यारमी प्रतिमा आराधवी कही छइ। तिहां कांई पूजा करवी कही नथी, अनइ हमणां पहिली प्रतिमाहिं त्रीकाल पूजा करावइं छइं, ते केहा सिद्धान्त माहिं कही छइ? एह पांत्रीसमु बोल। ३६. छत्रीसमु बोल. हवइ छत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। श्री महावीरइं सिद्धान्त माहिं तीर्थ बोलियां छई। चतुर्विधसंघ तीर्थ- महात्मा, महासती, श्रावक, श्राविका। अनइ वलि परदर्शनिना तीर्थ सिद्धान्त मांहिं कहियां छई, मागध तीर्थ१, वरदाम तीर्थ २, प्रभास तीर्थ ३, वीतरागि सिद्धान्त माहिं परदर्शनिना तीर्थ बोल्यां, अनइ सेत्तुंज गिरिनार आबू अष्टापद जीराउलउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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