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________________ आचार्य हरजीस्वामी और उनकी परम्परा स्थान राणावास वि० सं० २०३७ २०३८ २०३९ स्थान पिपलियाकलां उदयरामसर देशनोक नोखा मंडा उदयपुर अहमदाबाद बोरीवली (मुम्बई) २०४० घाटकोपर (मुम्बई) २०४१ WH जलगांव २०४२ बीकानेर ज्ञात नहीं है गंगाशहर - भीनासर २०४३ इन्दौर रतलाम २०४४ ब्यावर २०४५ कानोड़ चित्तौड़गढ़ आचार्य श्री रामलालजी उदयपुर उदयपुर २०४६ आपका जन्म वि०सं० २००९ चैत्र सुदि चतुर्दशी को राजस्थान के देशनोक में हुआ | आपके पिता का नाम श्री नेमिचन्द भूरा और माता का नाम श्रीमती गबराबाई है। वि०सं० २०३१ माघ सुदि द्वादशी तदनुसार २३ फरवरी १९७५ को आचार्य श्री नानालालजी के शिष्यत्व में देशनोक में ही आपने आर्हती दीक्षा ग्रहण की। संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती आदि भाषाओं का आपको अच्छा ज्ञान है । आपके प्रभावशाली व्यक्तित्व को देखते हुये आचार्य श्री नानालालजी ने वि०सं० २०४८ फाल्गुन वदि त्रयोदशी तदनुसार २ मार्च १९९२ को बीकानेर में संघ के युवाचार्य पद के लिए आपका नाम घोषित किया और वि० सं० २०४८ फाल्गुन सुदि तृतीया तदनुसार ७ मार्च १९९२ को बीकानेर में एक बड़े महोत्सव में युवाचार्य पद की चादर आपको प्रदान की गई। इसी समय इस संघ के कुछ वरिष्ठ मुनियों ने असंतोष व्यक्त किया और कालान्तर में अलग होकर आचार्य श्री विजयराजजी के नेतृत्व में नवीन संघ का गठन किया। वि०सं० २०५७ कार्तिक वदि तृतीया तदनुसार २७ अक्टूबर १९९९ को आप साधुमार्गी संघ के नवम् आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हुये । ई० सन् १९९९ तक आप गुरुवर्य आचार्य श्री नानालालजी के साथ विचरण करते रहे। राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि आपके विहार क्षेत्र हैं। वर्तमान में आप के संघ में कुल २७३ संत - संतियाँ हैं, जिनमें २९ मुनिराज हैं और २४४ महासतीजी हैं। विद्यमान सन्तों के नाम हैं Jain Education International ४७१ वि०सं० २०४७ २०४८ २०४९ २०५० २०५१ २०५२ २०५३ २०५४ २०५५ २०५६ श्री सम्पतमुनिजी, श्री रंजीतमुनिजी, श्री ज्ञानमुनिजी, श्री बलभद्रमुनिजी, श्री प्रकाशमुनिजी, श्री पद्ममुनिजी, श्री चन्द्रेशमुनिजी, श्री धर्मेन्द्रमुनिजी, श्री विवेकमुनिजी, श्री राजेशमुनिजी, श्री पुष्पमित्रमुनिजी श्री सेवन्तमुनिजी, श्री For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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