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________________ दशम अध्याय धर्मदासजी की पंजाब, मारवाड़ एवं मेवाड़ की परम्पराएं (अ) मुनि श्री गंगारामजी और उनकी पंजाब परम्परा पूज्य श्री धर्मदासजी पूज्य श्री योगराजजी पूज्य श्री हजारीलालजी पूज्य श्री लालचन्दजी मुनि श्री गंगारामजी * आपका जन्म वि० सं० १८१२ में कासडा कासडी से एक मील दूर सरगथल नामक ग्राम में हुआ। वि० सं० १८६२ पौष वदि दशमी को ढूडाड में आप दीक्षित हुये । वि० सं० १९०६ माघ वसन्तपंचमी दिन रविवार को दिल्ली में आप स्वर्गस्थ हुये । मुनि श्री जीवनरामजी आपका जन्म वि०सं० १८८२ में बीकानेर के नोहर ग्राम में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती जयन्तीदेवी तथा पिता का नाम श्री हीरालालजी सिरोहिया था । वि०सं० १९०६ में फिरोजपुर में आप दीक्षित हुये । वि० सं० १९५८ में दीपावली की रात्रि में फरीदकोट में आप स्वर्गस्थ हुये। आपके तीन प्रमुख शिष्य हुये। मुनि श्री आत्मारामजी (विजयानन्दजी सूरि), मुनि श्री गणपतरायजी व मुनि श्री दीपचन्दजी। इनमें से मुनि आत्मारामजी ने कुछ सन्तों के साथ पूर्व में स्थानकवासी मुनि बूटेरायजी, जो बाद में मूर्तिपूजक परम्परा में चले गये थे, के सान्निध्य में पुनः दीक्षा ग्रहण कर मूर्तिपूजक परम्परा को स्वीकार कर लिया था। मुनि श्री दीपचन्दजी की परम्परा में स्वामी रतिरामजी व श्री तेजरामजी और इनके दो शिष्य श्री राजमलजी और श्री भागमलजी हुये। पं. श्री तिलोकचन्दजी (अर्द्ध शतावधानी) तथा श्री ज्ञानमुनिजी आपके शिष्य हुये। मुनि श्री भगतरामजी आपका जन्म वि०सं० १८९९ में संगरुर के अढयायां नगर में हुआ। वि०सं० १९३२ में फिरोजपुर के चूढ़चक नगर में आप दीक्षित हुये । वि०सं० १९५७ में आप स्वर्गस्थ हुये । मुनि श्री श्रीचन्दजी आपका जन्म वि०सं० १९१४ में रोहतक के सुहानारोड नगर में हुआ । * आत्मरश्मि, दिसम्बर १९९३ जनवरी १९९४ में प्रकाशित पट्ट- परम्परा पर आधारित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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