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________________ ३२७ धर्मदासजी की परम्परा में उद्भूत गुजरात के सम्प्रदाय ३२७ मुनि श्री विमलचन्द्रजी स्वामी आपका जन्म रताड़िया में हुआ। वि० सं० २०३० में रताड़िया में ही आपने आर्हती दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री चिन्तनचन्द्रजी स्वामी भोरारा में आपने जन्म लिया और भोरारा में ही वि०सं० २०३४ में आपने भागवती दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री शान्तिचन्द्र स्वामी भोरारा में आपका जन्म हुआ और भोरारा में ही वि० सं० २०३४ में आपकी दीक्षा हुई। मुनि श्री प्रकाशचन्द्रजी स्वामी. आपका जन्म भोरारा में हुआ और भोरारा में ही वि०सं० २०३४ में आपने दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री विवेकचन्द्रजी स्वामी. आप सरा में पैदा हुए और सरा में ही वि० सं० २०४१ में आपने संयमपर्याय को धारण किया। मुनि श्री विरागचन्द्रजी स्वामी पेथापर में आपका जन्म हुआ और आनंदपर में वि० सं० २०४१ में आपने दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री निरंजनचन्द्रजी स्वामी आपका जन्म चिंचण में हुआ। वि० सं० २०४२ में विदड़ा में आपने दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री चेतनचन्द्रजी स्वामी आपका जन्म चिंचण में हुआ और वि०सं० २०४२ में विदड़ा में आप दीक्षित हुये। मुनि श्री. धनेशचन्द्र स्वामी आपका जन्म भचाउ में हुआ और भचाउ में ही वि० सं० २०४४ में आपने आहती दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री पंथकचन्द्रजी स्वामी भचाउ में आपका जन्म हुआ और मुम्बई (अंधेरी) में वि०सं० २०४५ में आप दीक्षित हुये। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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