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________________ १७६ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास स्वर', 'सत्य और तथ्य', 'आस्था के आयाम', 'प्रेरणा- प्रसून', 'गहरे पानी पैठ', 'स्वर्ण किरण', 'प्रतिध्वनि', 'जिन खोजा तिन पाइयां', 'फूल और पराग', 'सोना और सुगन्ध', 'खिलती कलियाँ मुस्कराते फूल', 'अतीत के उज्ज्वल चरित्र', 'बोलते चित्र', 'महकते फूल', 'अमिट रेखाएँ', ‘बूँद में समाया सागर' और 'सत्यम् शिवम् ।' उपन्यास साहित्य - 'सूली और सिंहासन', 'कदम-कदम पदम खिले', 'पुण्य पुरुष', 'अपराजिता', 'कीचड़ और कमल', 'धरती का देवता', 'धर्मचक्र', 'नौका और नाविक', 'मुक्तिपथ' । निबन्ध साहित्य- 'संस्कृति के अंचल में', 'साहित्य और संस्कृति', 'जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा', 'जैन धर्म और दर्शन : एक परिचय', 'जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप', 'चिन्तन के विविध आयाम', 'धर्म दर्शन: मनन और मीमांसा', 'जैन दर्शन : स्वरूप और विश्लेषण', 'अहिंसा का आलोक', 'सद्दा परम दुल्लहा', 'अप्पा सो परम्परा', 'जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन', 'जैन कथा साहित्य की विकास-यात्रा', 'पानी में मीन पियासी', 'साधना के शिखर पुरुष । ' : शोधपरक साहित्य - 'भगवान् ऋषभदेव : एक परिशीलन', 'भगवान् पार्श्व एक समीक्षात्मकं अध्ययन', 'भगवान् अरिष्टनेमि और कर्मयोगी श्री कृष्ण : एक अनुशीलन', 'भगवान् महावीर : एक अनुशीलन', 'जैन जगत के ज्योतिर्धर आचार्य', 'कर्म विज्ञान, भाग १ - ९', 'श्री पुष्कर मुनि : व्यक्तित्त्व एवं कृतित्व।' इनके अतिरिक्त आचार्य श्री ने उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी के प्रवचनों से जीवन को प्रेरणा प्रदान करनेवाले सदुपदेशों को सम्पादित किया है, वे इस प्रकार हैं 'श्रावक धर्म-दर्शन', 'धर्म का कल्पवृक्ष जीवन के आंगन में', 'ब्रह्मचर्य विज्ञान : एक समीक्षात्मक अध्ययन', 'पुष्प - पराग ।' काव्य साहित्य - 'वैराग्यमूर्ति जम्बूकुमार', 'पुष्कर - पीयूष', 'महाभारत के प्रेरणा प्रदीप', 'नेमिवाणी', 'अमरसिंह महाकाव्य' । भूमिकाएँ युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी द्वारा सम्पादित और आप श्री द्वारा लिखित भूमिका वाले निम्न आगम ग्रन्थ हैं - 'आचारांगसूत्र', 'स्थानांगसूत्र', 'समवायांगसूत्र', 'भगवतीसूत्र', 'ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र', 'अन्तकृतदशा', 'विपाकसूत्र', 'औपपातिकसूत्र', 'अनुत्तरौपपातिकदशा', 'प्रज्ञापनासूत्र', 'जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र', 'निरयावलिका', 'राजप्रश्नीयसूत्र', 'जीवाजीवाभिगमसूत्र', 'दशवैकालिकसूत्र', 'उत्तराध्ययनसूत्र', 'अनुयोगद्वारसूत्र' | सम्पादित अभिनन्दन / स्मृति ग्रन्थ साहित्य- 'आचार्य प्रवर आनन्दऋषि अभिनन्दन ग्रन्थ', 'श्री अम्बालालजी अभिनन्दन ग्रन्थ', 'उपाध्याय श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ', 'महासती पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ', 'श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ।' आचार्य श्री ने अनेक कहानियों व उपन्यासों को सम्पादित कर प्रकाशित करवाया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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