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आर्य सुधर्मा से लोकाशाह तक ६४. कल्याणसूरि
६५. भैखाचार्य
६६. नेमिदाससूरि
६७. आसकरणाचार्य (वि० सं० १७२४)
६८. वर्द्धमानाचार्य (वि०सं० १७३०)
६९. सदारंग सूरि (वि०सं० १७७२)
७०. जगजीवनदासजी (उदयसिंहजी)
७१. भोजरागसूरि (१८१६)
७२. हर्षचन्द्रसूरि
७३. लक्ष्मीचन्द्रजी (१८४२)
सथानकवासी पंजाब परम्परा की पट्टावली
देवर्द्धि क्षमाश्रमण के पश्चात् २८. श्री वीरभद्र स्वामी (वी०नि०सं०९८५ से १०५४)*
२९. श्री शंकरभद्र स्वामी (१०६४ से १०९४)
३०. श्री जसंभद्र स्वामी (१०९४ से १११६)
३१. श्री वीरसेन स्वामी (१११६ से११३२)
* 'भारत श्रमण संघ गौरव आचार्य सोहन', लेखक- प्रवर्तक मुनि श्री शुक्लचन्द्रजी, सम्पा०- प्रवर्तकमुनि श्री सुमनकुमारजी, से साभार ** प्रवर्तक श्री शुक्लचन्द्रजी ने आपका पदारोहण वर्ष वी०नि०सं० १००८ युक्तियुक्त माना है। वही,
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