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________________ आर्य सुधर्मा से लोकाशाह तक १३. आचार्य स्कन्दिल ३७६ से ४१४ १४. आचार्य रेवतीमित्र ४१४ से ४५० १५. आचार्य धर्मसूरि ४५० से ४९५ १६. आचार्य भद्रगुप्तसूरि ४९५ से ५३३ १७. आचार्य श्रीगुप्तसूरि ५३३ से ५४८ १८. आचार्य वज्रस्वामी ५४८ से ५८४ १९. आचार्य आर्यरक्षित ५८४ से ५९७ २०. आचार्य दुर्बलिका पुष्यमित्र ५९७ से ६१७ २१. आचार्य वज्रसेनसूरि ६१७ से ६२० २२. आचार्य नागहस्ती ६२० से ६८९ २३. आचार्य रेवतीमित्र ६८९ ७४८ २४. आचार्य सिंहसूरि ७४८ से ८२६ २५. आचार्य नागार्जुनसूरि ८२६ से ९०४ २६. आचार्य भूतदिन्नसूरि ९०४ से ९८३ २७. आचार्य कालकसूरि (चतुर्थ) ९८३ से ९९४ २८. आचार्य सत्यमित्र ९९४ से १००० २९. आचार्य हारिल्ल १००० से १०५५ ३०. आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण १०५५ से १११५ ३१. आचार्य स्वातिसूरि १११५ से ११९७ ३२. आचार्य पुष्यमित्र ११९७ से १२५० ३३. आचार्य सम्भूति १२५० से १३०० ३४. आचार्य माठर सम्भूति १३०० से १३६० ३५. आचार्य धर्मऋषि १३६० से १४०० ३६. आचार्य ज्येष्ठांगगणी १४०० से १४७१ ३७. आचार्य फल्गुमित्र १४७१ से १५२० ३८. आचार्य धर्मघोष १५२० से १५९८ वल्लभी युगप्रधान. पट्टावली आचार्यों के नाम पद-काल १. गणधर सुघर्मा २० वर्ष २. आचार्य जम्बू ४४ वर्ष ३. आचार्य प्रभव ११ वर्ष ४. आचार्य शय्यम्भव २३ वर्ष । • तेरापंथ का इतिहास, खण्ड-१ से साभार Jain Education International : For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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