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________________ इन्द्रभूति गौतम मध्यम पावा के समवशरण में ग्यारह विद्वानों ने श्रमण भगवान महावीर के पास जाकर अपनी शंकाओं का समाधान पाकर के दीक्षा ली थी। ये विद्वान भगवान महावीर के प्रथम शिष्य कहलाए। ये अपनी असाधारण विद्वता, अनुशासन कुशलता तथा आचारदक्षता के कारण भगवान के गणधर बने। 1 1. गणधरों का परिचय गणधर भगवान के गण के स्तम्भ होते हैं। तीर्थंकरों की अर्थरूप वाणी को सूत्ररूप में ग्रथित करने वाले कुशल शब्दशिल्पी होते हैं। भगवान महावीर के ग्यारह गणधर थे । यह शोध प्रबंध गणधरों की शंकाओं व श्रमण भगवान महावीर द्वारा दिये गए समाधानों से संबंधित होने से यह समुचित ही होगा कि हम प्रारंभ में ही इन ग्यारह गणधरों का संक्षिप्त परिचय प्राप्त करें। इन्द्रभूति गौतम भगवान महावीर के प्रथम व प्रधान शिष्य थे। उनकी जन्मभूमि मगध की राजधानी राजगृह के पास गोबरगाँव थी जो आज नालन्दा का एक विभाग माना जाता है । इन्द्रभूति गौतम का जन्म ईसा से 607 वर्ष पूर्व हुआ। आपके पिता का नाम वसुभूति गौतम और माता का नाम पृथ्वी था । गौतम का व्युत्पत्तिजन्य अर्थ करते हुए जैनाचार्यों ने लिखा है कि बुद्धि के द्वारा जिसका अन्धकार नष्ट हो गया है, वह गौतम है। 2 इन्द्रभूति गौतम का व्यक्तित्व विराट् व प्रभावशाली था, दूर-दूर तक उनकी विद्वता की धाक थी वे गुरू की सेवा में रहकर ऋग, यजु साम एवं अथर्व इन चारों वेदों, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्दस् तथा ज्योतिष न्याय, धर्मशास्त्र एवं पुराण इन चारों उपांगों का 14 विद्याओं का सम्यकरुपेण अध्ययन किया । इन छहों वेदांगों और मीमांसा, इस प्रकार कुल मिलाकर सम्पूर्ण 3 Jain Education International परिशिष्ट 1 मगहा सुब्बरगामे जाया तिब्बेव गोयमरागुत्ता आवश्यक नियुक्ति, गाथा 643 आवश्यक नियुक्ति गाया 647-48 आचार्य हस्तिमल जी सा., जैनधर्म का मौलिक इतिहास, भाग 2, पृ. 7 - - 491 - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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