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परिस्थिति सामूहिक है, कर्म को वैयक्तिक परिस्थिति कहा जा सकता है, यही कर्म की सत्ता का स्वयंभू प्रमाण है।
कर्म सिद्धान्त एक ऐसा सिद्धान्त है जो मानव को अशुभ प्रवृत्तियों से हटाकर शुभ प्रवृत्तियों की ओर प्रेरित करता हैं साथ ही यह पुनर्जन्म की अवधारणा का संपोषक है। यदि कर्मसिद्धान्त की अवधारणा को स्वीकार न करे तो मनुष्यों को दुष्प्रवृत्तियों से विमुख करना कठिन होगा। जिससे संसार में अराजकता, अशान्ति का वातावरण निर्मित हो जायेगा। अतः कर्मसिद्धान्त को मानना अनिवार्य एवं आवश्यक है।
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