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________________ परमपूज्यनीया, शासनज्योति, महाश्रमणी गुरुणी जी श्री पुष्पवती जी के असीम आशीर्वाद से तथा उनके वरदहस्त से स्पर्शित होकर ही मैं अनुसन्धान के अथाह सागर से किनारा पा सकी हूँ। श्रमण संघीय सलाहकार पू. श्री दिनेशमुनि जी मा. का सहयोग अविस्मरणिय है। उनके परिश्रम से ही मुझे डा. सागरमल जी जैन का निर्देशन उपलब्ध हो सका। साथ ही बालयोगी “द्विपेन्द्रमुनि जी" व मेरी कल्पनाओं को साकार करने वाले “पुष्पेन्द्रमुनि जी" का सहयोग चिर स्मरणीय रहेगा। गुरुभगिनी पूज्यनीया प्रिदर्शना जी, किरणप्रभा जी मा., रत्नज्योति जी एवं अर्पिताश्री की अन्तःस्पर्शी प्रेरणा एवं उत्साह भरे अनुग्रह के प्रति सर्वोपरि कृतज्ञता ज्ञापन करती हूँ। प्रस्तुत शोध प्रबन्ध के निर्देशन व सहयोग के रुप में डा. डी.एस. बया सा. का मार्गदर्शन महत्त्वपूर्ण रहा। उन्होंने मुझे एम.ए. में अध्ययन करवाया फलस्वरुप मेरा विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान रहा, तथा शोधकार्य में समय-समय पर आवश्यकतानुसार पथ-प्रदर्शन किया, उनके प्रति हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ। बाल्यकाल से ही मेरे प्रेरणास्रोत व मेरे जीवन को संस्कारित करने वाले जन्मदाता माताश्री रतनबाई जी एवं पिताश्री जिनेन्द्रकुमार जी चौरड़िया तथा भ्राता द्वय सर्वश्री रणजीत व अजीतजी का आभार प्रकट करना तो उनके प्रति धृष्टता ही होगी। उनके स्नेह व उपकार की स्मृति ही मेरा अमूल्य धरोहर है। डा. तेजसिंह जी गौड़, श्रीमती नलिनी बहन, डा. दिलीप जी धींग, के अतिरिक्त भी ज्ञात-अज्ञात अनेक शुभेच्छुकों की अनुशंसा स्मृति पटल पर सदैव रहेगी। उन सभी के प्रति आन्तरिक सदिच्छाएँ व्यक्त करती हूँ। प्रस्तुत शोध प्रबन्ध के लिए जिन-जिन ग्रन्थों को पढ़ा, जिन पुस्तकों के संदर्भ लिए, जिन्होंने मेरे शोध पथ को सुलभ बनाया, उन सभी के लेखकों, संपादकों, प्रकाशकों की हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ। श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय व 'आचार्य देवेन्द्रमुनि शोध संस्थान' उदयपुर के सेवाभावी कार्यकर्ता तथा व्यवस्थापक श्री डूंगरसिंह जी खमेसरा का सक्रिय सहयोग एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001737
Book TitleVishevashyakBhasya ke Gandharwad evam Nihnavavada ki Darshanik Samasyaye evam Samadhan Ek Anushila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansree
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size9 MB
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