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________________ ५०६ वज्जालग्ग दढरोसकलुसियस्स वि 35 दूरठिया न दूरे 77 दरहसियकडक्ख 552 दूरयरदेसपरिसंठियस्स"महंतस्स 786 दंतच्छोहं तडवियडमोडणं 186 दूरयरदेसपरिसंठियस्स"वहंतस्स दंतणहक्खयमहियं 323 अति० ८०*2 दंतुल्लिहणं सब्वंग अति० 199*2x दूरं गए वि कयविप्पिए 340 दंते तिणाइ कंठे अति. 364*1 दे जं पि तं पि अति० 226*1 दाडिमफलं व पेम्म 334x देमि न कस्स वि जंपइ 585x दाणं न देइ न करेइ 332 देवाण बंभणाण य 477 दाणं न देंति बहुलं 547 देसियसद्दपलोट्टं 28 दारिद्दय तुझ गुणा 138 देसे गामे नयरे"न पसरइ 700 दारिद्दय तुज्झ नमो 139 देसे गामे नयरे "न वियरइ दाहिणकरेण खग्गं 167 __ अति० 90*15 दिट्ठा हरंति दुक्खं 36 देहि त्ति कह नु भण्णइ 158 दिट्ठीतुलाइ भुवणं 277 दोसिय घणगुणसारं 792 दिट्ठी दिप्पिसरो 391 दोहिं चिय पज्जत्तं 42 दिठे वि हु होइ सुहं 78 घणसंचया सुगुज्झा 565 दिट्ठो सि जेहि पंथिय 443 धणु संघइ भुयवलयं अति० 300*1 दिढलोहसंकलाणं 72 धन्नं तं चेव दिणं 785 दिन्नं गेण्हइ अप्पेइ अति० 41206 धन्ना बहिरंधलिया अति० 64*3 धम्मत्थकामरहिया 145 दिन्नं थणाण अग्धं 211 दिन्ना पुणो वि दिज्जउ अति० 284*7 धम्मिय धम्मो सुन्वइ अति० 532*2 धम्मो घणाण मूलं अति० 90*8 दीणं अब्भुद्धरिउं 44 597 दीसंति जोयसिद्धा धवलं धवलच्छीए 141 दीहरखडियाहत्थो धावंति तम्मुहं धारिया 300 497 दीहं लण्हं बहुसुत्त धीरा मया वि कज्जं अति० 119*2 788 धीरेण समं सम 112 दीहुण्हपउरणी सास 223 धुत्तीरएण धम्मिय जइ इच्छसि 523 दुक्खं कीरइ कन्वं दुक्खेहि वि तुह विरहे अति० 438*2 धुत्तीरएण धम्मिय जो होइ दुग्गयघरम्मि घरिणी अति० 532*1 457 दूइ तुम चिय कुसला 413 धुत्तीरयस्स कज्जे 524X दूइ समागमसेउल्ल 418x धुत्तीरयाण कज्जेण 525. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001736
Book TitleVajjalaggam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayvallabh, Vishwanath Pathak
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1984
Total Pages590
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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