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________________ गाथानुक्रमणिका ५०१ कह सा न संभलिज्जइ जा सा कुप्पाढएहि कुल्लेहएहि अति० 16*1 अत्तत्त 399 कुप्पुत्तेहि कुलाइं अति० 90*4 कह सा न संभलिज्जइ जा सा । कुलबालिया पसूया अति० 624*2 घरबार ___401 569 कुललंछणं अकित्ती 467 कुलवालियाइ पेच्छह कह सा न संभलिज्जइ जा सा नवणलिणि 590 कुसलं राहे सुहिओ सि 400x कुंकुमकयंगरायं 619 कह सा न संभलिज्जइ जा सा कुंजर मइंददंसण अति. 1995 नीसास 402x 248 कुदलयामउलपरिट्ठिएण कंकेल्लिपल्लवुवेल्लमणहरे 220 कंचीरएहि कणवीरएहि केसव पुराणपुरिसो 599 528 केसाण दंतणहठक्कुराण 681 कंठभंतरणिग्गय 285 केसिवियारणरुहिरुल्ल 595 कंपति वलंति समूससंति 405 का समसीसी तिसिंदयाण को एत्य सया सुहिओखलणं 127x 745 का समसीसी सह मालईइ को एत्थ सया सुहिमओ"पलिअं 6.7 233 को दाऊण समत्थो 677 कित्तियमेत्तं एवं 414 को देसो उब्वसिओ 442 किमिओ सि कीस 600x किसिणिज्जति लयंता खणभंगुरेण विसमेण अति० 349*2 137 खणमेत्तं संतावो 383 कि करइ किर वराओ 30 खरपवणचाडुचालिर ... 444 किं करइ कुरंगी बहसुएहि 200 खरफरुसं सिप्पिउड़ 688 कि करइ तुरियतुरियं 636X खलसज्जणाण दोसा 64. किकरि करि म अजुत्त ७40X खलसगे परिचत्ते अति 64*2 किं ताल तुज्झ तुंगत्तणेण 736 खंडिज्जइ विहिणा ससहरो 126 किं तुज्झ पहाए खुहइ न कडुयं जंपइ अति० 48*1 कि तेण आइएण व 701x गज्जति घणा भग्गा य पंथया 648 किं तेण जाइएण वि 699x गरुयछुद्दाउलियस्स 195 किं वा कुलेण कीरइ 143 गहचरिय देवरियं 668 किं वा गुणेहि कीरइ अति० 90*13 गहवइसुएण भणियं 516x कि विहिणा सुरलोए 486 गहिऊण चूयमंजरि 635 कीरइ समुद्दतरणं अति० 72*5 गहिऊण सयलगंथं 578 कुडिलत्तणं च वंकत्तणं च 574 गहियविमुक्का तेयं 683 कुद्दालघायघणं 589 गाढयरचुंबणुप्फुसिय अति० 300*6x 779 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001736
Book TitleVajjalaggam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayvallabh, Vishwanath Pathak
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1984
Total Pages590
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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