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________________ हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा.४ NO न्मः ॥४८॥ न्म काम होता है । (यह सूत्र १.४.४७ से) पृथक् कहा जानेसे, (यहाँका म) नित्य होता है। उदा.-जन्म जम्मो। मन्मथः वम्महो। मन्मनः मम्मणो ॥ ४८ ॥ ताम्राम्रयोर्बः ॥ ४९ ॥ (ताम्र और आम्र) इनमें संयुक्त व्यंजनका मकारसे आक्रांत ऐसा बकार (म्ब) होता है। उदा.-ताम्रम् तम्बं । आम्रम् अम्बं । तम्बिर, अम्बिरं ये शब्द देश्य हैं ॥ ४९ ॥ ऊर्चे भो वा ॥ ५० ॥ ऊर्ध्व शब्दमें स्तु का यानी संयुक्त व्यंजनका भ विकल्पसे होता है। उदा.-उभं उद्धं ॥ ५० ॥ ह्वः ।। ५१ ।। (इस सूत्रमें १.४.५० से) भो वा पदाी अनुवृत्ति है। ह का भ विकल्पसे होता है। उदा.-जिह्वा जिब्भा जीहा ॥ ५१ ॥ भश्च विह्वले ।। ५२॥ विह्वल शब्दमें संयुक्त व्यंजनमेंसे वकारका भ विकल्पसे होता है। उदा.विन्भलो विहलो ॥ ५२ ॥ काश्मीरे म्भः ॥ ५३ ॥ काश्मीरमें संयुक्त व्यंजनको म्भ ऐसा आदेश होता है। उदा.कम्भारं कम्हारं ।। ५३ ॥ लो वादें ॥ ५४ ॥ बाई शब्दमें स्तु का यानी संयुक्त व्यंजनका ल विकल्पसे होता है। इस सूत्रमें पुनः 'वा' शब्द कहा जानेसे, अगले सूत्रमें विकल्प नहीं भाता। खदा.-मलं उलं मोलं। मई उई ओई ॥ ५४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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