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हिन्दी अनुवाद-स. १, पा. ३ ।
(१६) बुलबुलो बुबुद । यहाँ दकारका ल और दो संयुक्त व्यंजनोंके बीचमें उ ऐसे वर्णविकार हुए हैं। (१७) करिल्लं करीर या बाँस । यहाँ र का ल्ल हुआ है। (१८) ऊआ युका । यहाँ आध य का लोप हुआ है। (१९) दोग्गं युग्म या जोडी। यहाँ यु का दो हुआ है। (२०) धणिया धन्या (यानी) प्रियतमा । यहाँ यकारके पूर्वमें इ आया है। (२१)णिव्वहणं उन्दहनं (यानी) विवाह । यहाँ उकारका णि हुआ है। (२२) मुव्वहह उद्वहति ब्याह करता है। यहाँ उकारका मु हुआ है। (२३) छिच्छि धिक् धिक् । यहाँ ध का छ हुआ है। (२४) वाडी वृतिः। यहाँ ऋ का आ और तकारका ड हुए हैं । (२५) गहिल्लो प्रहिल या पिशाचग्रस्त । यहाँ ल का द्वित्व हुआ है। (२६) गोणिको गोनीकः (यानी) गवां अनीकः (यानी) गौओंका समूह । यहाँ क का द्वित्व हुआ है। (२७) अइरजुवई अचिरयुवति । अपूर्वा ऐसा अर्थ। (२८) अणरहू नववधू । यहाँ नकार और वकार इनके (अनुक्रमसे) अ और ण, तथा वका र हुए हैं। (२९) अमआ असुर । यहाँ सुकार और रेफ इनके म और य हुए हैं। (३०) पण्णवण्णा (३१) पश्चावण्णा पश्चपश्चाशत् या पचपन । यहाँ आध संयुक्त व्यंजनका ण, प का व, चाशत्का णा, हुए हैं। (पंचावण्णामें) द्वितीय अ का आ, चाशत्का णा हुए हैं। (३२) गामहणं ग्रामस्थान । यहाँ स्थाकारका ह हुआ है। (३३) तेवण्णा त्रिपश्चाशत् या तिरपन । यहाँ इ का ए, चाशत्का ण हुए हैं। (३४) घुसिमं घुसूण या केसर। यहाँण का म, ऋकारका इ हुए हैं। (३५) छटा छटा। यहाँ टकारका द हुआ है। (३६) बइल्लो बलीवर्द य, बैल। यहाँ द का ल और लीव का इ हुए हैं। (३७) पाउरणं (३८) पंगुरणं प्रावरण । यहाँ द्वितीय का उ हुआ है और व को गु ऐसा भादेश हुआ है। (३९) लक्कुडो लगुड या लकडी। यहाँ गकारका क दुआ है। (४०) आसंघो आस्था। यहाँ स्थाकारका : संघ हुआ है। त्रिवि.मा.व्या....५
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