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हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा.३
दिअहो दिअसो (दिवस)। दह दस (दश)। दहमुहो दसमुहो (दशमुख)। दहबलो दसबलो (दशबल)। दहरओ दसरहो (दशरथ)। एआरह एआरस (एकादश)। बारह बारस (द्वादश)। तेरह तेरस (त्रयोदश)। पाहाणो पासाणो (पाषाण) ।। ८८ ।। स्नुषायां हः फोः ।। ८९ ।।
स्नुषा शब्दमें फोः यानी द्वितीय (ऐसे) शु का एह ऐसा आदेश विकल्पसे होता है । उदा.-सुण्हा सुसा स्नुषा ॥ ८९ ॥ छल् षट्शमीसुधाशावसप्तपणे ॥ ९०।।
(षट, शमी, सुधा, शाव, सप्तपर्ण) इन शब्दोंमें श, ष, स का लित् (=नित्य) छ होता है। उदा.-छट्ठी षष्ठी। छप्पओ षट्पदः। छम्मुहो षण्मुखः । छमी शमी। छुहा सुधा। छावो शावः । छत्तिवण्णो सप्तपर्णः ।। ९० ॥ सिरायां वा ।। ९१ ॥
सिरा शब्दमें शु का छ विकल्पसे होता है। उदा.-छिरा सिरा ॥९१॥ लुक्पादपीठपादपतनदुर्गादेव्युदुम्बरेऽचान्तर्दः ॥ ९२ ।।
पादपीठ, इत्यादि शब्दोंमें (दो स्वरोंके) बीच होनेवाले दकारका, (उससे संयुक्त रहनेवाले) स्वरके साथ, विकल्पसे लोप होता है। उदा.पावीढं पाअवीढं पादपीठम् । पावडणं पाअवडणं पादपतनम्। दुग्गावी दुग्गाएवी दुर्गादेवी। उंबरो उउंबरो उदुम्बरः। (दो स्वरोंके) बीच होनेवाले, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण दुर्गादेवी शब्दमेंसे आद्य (दकार) में (विकल्पसे लोप) न हो ।। ९२ ॥ व्याकरणप्राकारागते कगोः ॥ ९३ ॥
(इस सूत्रमें १.३.९२ से) लुग् पदकी अनुवृत्ति है। (१.३.९१ सूत्रमेंसे) वा शब्द और (१.३.९२ मेंसे) अचा पद यहाँ (अध्याहृत) हैही। व्याकरण, इत्यादि शब्दोंमें ककार और गकार इनका, (उनसे संयुक्त
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