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________________ हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा. २ वृन्त इदेङ् ।। ८६ ॥ वृन्त शब्दमें ऋ के इदेङ् विकल्पसे होते हैं । ए, ओ यानी एङ्; इदेङ् यानी इत् और एङ् । (ऋके) इ, ए, ओ होते हैं, यह अर्थ (निष्पन्न होता है)। उदा.- विटं वेटं वोटं ॥ ८६ ॥ ढिराहते ॥ ८७ ।। __ आदृत शब्दमें ऋ को दि ऐसा आदेश होता है । उदा.-आढिओ ॥ ८७ ॥ दृप्तेऽरि ता ।। ८८ ॥ दृप्त शब्दमें पकार और तकार के साथ ऋ को अरि ऐसा आदेश होता है। उदा.-दरिओ। दरिअसीहेण ॥ ८८ ॥ केवलस्य रिः ।। ८९ ॥ केवल यानी व्यंजनसे संयुक्त न रहनेवाले ऋ को रि ऐसा आदेश होता है । उदा.-रिद्धी ऋद्धिः। रिच्छो ऋक्षः ॥ ८९ ॥ दृश्यसकिपि ।। ९० ।। अक्, क्स, किप, ये प्रत्यय अन्तमें होनेवाले दृश् (दृशि) धातुमें ऋ का रि होता है। उदा.-अक् प्रत्यय होनेपर-सरिसो सदृशः। क्स प्रत्यय होनेपरसरिच्छो सदृक्षः । किप् प्रत्यय होनेपर-सरी सदृक् । सरिवण्णो सरिरूवो । इसी प्रकारसे-एआरिसो। भवारिसो। जारिसो। तारिसो। केरिसो। एरिसो। तुम्हारिसो। अक् और क्स इनसे (यहाँ) साहचर्य होनेसे, 'त्यदादि' (सूत्र)ने कहा हुआ किए (प्रत्यय) यहाँ लिया जाता है ॥ ९० ॥ ऋतुजुऋणऋषिऋषभे वा ॥ ९१ ॥ (ऋतु, ऋजु,ऋण,ऋषि, ऋषभ) इन शब्दोंमें ऋ का रि विकल्पसे होता है । उदा.-रिऊ उऊ । रिज्जू उज्जू । रिणं अणं ' 'रेसी इसी । रिसहो उसहो क्लप्स इलिः ॥ ९२ ॥ क्लप्त इस शब्दमें आद्य अच् (स्वर) को इलि ऐसा आदेश होता है। 'उदा.-किलित्त । किलित्तकुसुमोवआरेसु, क्लसकुसुमोपचारेषु ॥ ९२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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