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त्रिविक्रम-प्राकृत-व्याकरण
उम्होरहतुरहतुब्भ भ्यसि ॥ ११ ॥
भ्यस् प्रत्यय आगे होनेपर, युष्मद्को उम्ह, उपह, तुरह, और तुम्भ ऐसे चार रूप प्राप्त होते हैं । भ्यस् के (प्रत्यय मात्र) यथाप्राप्त होते हैं। उदा.उम्हाहिंतो उय्हाहिंतो तुम्हाहितो तुब्भाहितो आगओ। 'वा ब्मो म्हज्झौ' (२.२.१४) इस वचनानुसार, तुम्हाहिंतो तुज्झाहिंतो (रूप होते हैं)। उम्हसो उयहत्तो तुम्हत्तो तुम्भत्तो तुम्हत्तो तुज्झत्तो, इत्यादि । इसीतरह दो, दु, हिंतो और सुंतो प्रत्ययों भी उदाहरण लेना है ॥ ११॥ तुब्भोभोव्हतइतुहंतुहतुम्हंतुवतुमतुमेतुमाइतुमोदेतेदितितुइए .. सा. ।। १२ ।। ___उस् प्रत्ययके साथ युष्मद्को तुब्भ, उब्भ, उय्ह, तुइ, तुहं, तुह, तुम्हं, तुब, तुम, तुमे, तुमाइ, तुमो, दे, ते, दि, ति, तु, इ, और ए ऐस अठारह आदेश होते हैं। 'वा ब्भो म्हज्झौ' (२.३,१४) इस वचनानुसार, तुम्ह, तुन्झ, उम्ह, उज्य; ऐस (कुल) बाईस रूप होते हैं ॥ १२ ॥ तुम्हाणतुभंतुब्भाणतुमाणतुवाणतुहाणतुब्भवोभे त्वामा ॥१३ ।।
आम् प्रत्ययके साथ युष्मदको तुम्हाण, तुब्भ, तुम्भाण, तुमाण, तुर्माण, तुहाण, तुब्भ, वो, भे और त्वा ऐसे दस आदेश प्राप्त होते हैं। उदा. तुम्हाण तुम्भं । 'वा ब्भो म्हज्' । (२.३.१४) वचनानुसार, तुम्हं, 'तुझं; तुब्भाण तुम्हाण तुज्झाण तुम्भ तुम्ह तुज्झ वो भे त्वा । 'क्त्वासुपोस्तु सुणात् (१.१.४३) सूत्रानुसार, अनुस्वार प्राप्त होनेपर, तुम्हाणं, तुन्भाणं, तुझाणं, तुमाणं, तुवाणं, तुहाणं । एवं (कुल) तेईस रूप होते है ॥ १३ ॥ वा ब्भो म्हज्झौ ।। १४ ।।।
युष्मद् के आदेशोंसे संबंधित रहनेवाले द्विरुक्त भकारको (=न्म को) म्ह और ज्या ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। इसके उदाहरण योग्य स्थानपर (२.३.२, ७, ९, १३ देखिए) दियही हैं ॥ १४ ॥ अस्मत्सुना अम्हिहमहअमहमहम्यम्मि ॥ १५ ॥
सु के यानी प्रथमा एकवचन (प्रत्यय)के माथ अस्मद् शब्दको अम्हि ? हं, अहअं, अहं, अहम्मि और अम्मि ऐसे छः आदेश प्राप्त होते हैं। उदा.--- अम्मि करेमि, अहं करोमि । तेण हं दिट्ठो, तेनाहं दृष्टः। बहनं जप्यामि,
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