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________________ १२९ हिन्दी अनुवाद-अ. २, पा. २ भआए। (जहाँ यह प्रत्यय) प्राप्त नहीं होता, वहाँ यह विकल्पका नियम हैं; इसलिए गौरी, कुमारी, इत्यादि शब्दोंमें संस्कृतकी तरह (यह प्रत्यय) नित्य आता है ।। ३७॥ . भीष्प्रत्यये ॥ ३८ ॥ (इस सूत्रमें २.२.३७ से) वा पदकी. अनुवृत्ति है। ‘टिड्ढाणम्' (पा. ४.१.१५) इत्यादि सूत्रानुसार, प्रत्यय-निमित्तसे जो डीप प्रत्यय कहा गया है, वह स्त्रीलिंगमें होनेवाली संज्ञाओंको विकल्पसे लगता है । उदा.--साहणी साधनी । कुरुअरी। विकल्पपक्षमें---विकल्पके सामर्थ्यसेही टाप (प्रत्यय लगता है)। उदा:- साहणा। कुरुअरा ।। ३८ ॥ हरिद्राच्छाये ।। ३९॥ (हरिद्रा और छाया) इन शब्दोंमें डीप् (प्रत्यय) विकल्पसे आता है । उदा.-.हलदी हलद्दा। छाही छाहा ॥ ३९ ॥ किंयत्तदोऽस्वमामि सुपि ।। ४० ।। म, अम् और आम् प्रत्ययोंको छोडकर, अन्य विभक्तिप्रत्यय आगे होनेवर, किम्, यद् और तद् इन (सर्वनामों)के आगे स्त्रीलिंगमें डीप (प्रत्यय) विकल्पसे आता है। उदा.- कीओ काओ। कीए काए । कीसु कासु ।। जीओ जाओ। जीए जाए। जीसु जासु ।। तीओ ताओ। तीए ताए । तीसु तासु ॥ सु,अम् , आम् प्रत्ययाको छोडकर, ऐसा क्यों कहा है ! कारण इन प्रत्ययोंके पूर्व डीप विकल्पसे नहीं आता)। उदा.-का। बासा। कंजं। तं। काणं । जाणं । ताणं ॥ ४० ॥ स्वसृगाव डाल ।। ४१ ।। स्त्रीलिंगमें होनेवाले स्वसू, इत्यादि शब्दोंके आगे डित् मा प्रत्यय आता है । (सूत्रके डाल्में) ल इत होनेसे, (यह प्रत्यय) नित्य आता है। हदा.-ससा | गणन्दा। दुहिआ हिमाहि । दुहिभातु ॥ ११ ॥ त्रि.वि .... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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