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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
परिशिष्ठ-२........{504} पंचसंग्रह संस्कृतटीका, प्राकृतवृत्ति, हिन्दीभाषानुवाद सहित
सम्पादक :- पं. हीरालाल जैन, सिद्धान्त शास्त्री, डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी प्रकाशक:- मन्त्री भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड़, वाराणसी मुद्रक :
बाबूलाल जैन फागुल्ल, सन्मति मुद्रणालय, दुर्गाकुण्ड रोड़, वाराणसी स्थापनावाद: फागुन कृष्ण-६ वीर.नि.सं. २४७०, वि.सं. २००० १८ फरवरी सन् १९४७ भगवतीसूत्र
वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी सम्पादक :- मुनि नथमलजी प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) प्रकाशन तिथि :- वि.सं. २०३१ कार्तिक कृष्णा-१३
मुद्रक :- एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ भगवतीटीका लेखक :
दीपरत्नसागरजी सम्पादक :- आगमश्रुत प्रकाशन
दिनांक:- १४/४/२००० रविवार २०५६ चैत्र सुदी ११ भगवती आराधना लेखक :
शिवार्य विरचित हिन्दी टीका : अपराजितसूरि सम्पादक: पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री अनुवादक: पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री
प्रकाशक: श्री हीरालाल खुशालचंद दोशी, फलटण (बाकरीकर), वीर.सं. २५१६, ई. सन् १६६० मूलाचार, पूर्वार्ध आचारवृत्ति सहित
आचार्य वट्टकेर विरचित टीकानुवादक : ज्ञानमतिजी सि.च. वसुनन्दि आचार वृत्तिकार प्रकाशन: भारतीय ज्ञानपीठ, ३६२०/२१ नेताजी सुभाष मार्ग, दिल्ली मुद्रक : सन्मति मुद्रणालय, दुर्गाकुण्ड मार्ग, वाराणसी-५
तृतीय संस्करण : सन् १९६६ मूलाचारउत्तरार्ध लेखक :
आ. वट्टकेर विरचित आचारवृत्तिकार : वसुनन्दि टीकानुवादक : ज्ञानमतिजी सम्पादक: पं. कैलाशचन्द्रजी जगमोहनलाल, पन्नालाल जैन प्रकाशन : पूर्ववत् मुद्रक : पूर्ववत्
चतुर्थ संस्करण सन् १६६६ योगशास्त्र लेखक:
श्री हेमचन्द्राचार्य प्रणीत प्रकाशन : श्री निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन संघ, दिल्ली-६ सन् १९७५ योगशास्त्र
लेखक :- हेमचन्द्राचार्यजी भाषान्तर :- केशरसूरिजी प्रकाशक :- श्री मुक्तिचन्द्र श्रमण आराधना ट्रस्ट, गिरि विहार तलेटी रोड़, पालीतणा मुद्रक :
कानजी भाई बी. डोडीया, भगवती प्रिन्टिंग प्रेस, पालीतणा संवत् २०३३, पो सुदी-१५, ई.सन् १६७७ आवृत्ति : छटी
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