________________
प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा.....
पंचम अध्याय........{361}
देशविरति गुणस्थान में बन्धहेतुओं के भंग/विकल्प
कुल
कायवध
क्रमांक
कषाय
युगल
योग
भय
जुगुप्सा
कुलभंग /विकल्प
विकल्प
७
| १०
तीन कायवध
| १०x | ४४
१३२००
| १० |
कायवध तथा
भय
१३२००
३ दो कायवध तथा
१०
जुगुप्सा
| ११४
-
१३२००
एक कायवध भय तथा
| १०
| १
जुगुप्सा
५x | ५x | ४x | २x | ३x | ११x
x-9 |x१
६६००
कुल भंग |४६२००
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org