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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा........
क्रमांक
हेतु संख्या
१ पांच कायवध सहित १ १४ बन्धहेतु
२
३ चार कायवध तथा भय सहित १४ ध
५
४ चारकायवध तथा जुगुप्सा सहित
१४
६
७
चार कायवध तथा
अनन्ता सहित १४ बन्धहेतु
ご
त्रसकायवध
अनन्ता तथा भय
सहित १४ बन्धहेतु
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मिथ्यात्व
१
9
2x 3X 3X 100
५x ५x ६x ४x
२x
३x
१०=
दो कायवध,
अनन्ता भय तथा
जुगुप्सा सहित १४
9
५x
१
५x
9
५x
१
५x
त्रसकायवध
अनन्ता तथा
जुगुप्सासहित १४ बन्धहेतु
त्रसकायवध भय
१
तथा जुगुप्सासहित ५x
१४ बन्धहेतु
9
५x
मिथ्यात्व गुणस्थान में बन्ध हेतु
१
Ex
अविरति
४ ४
५x१५x | ४x
23
12345
४
५x५x
9
१ ४ ३
५X१५X ४x
१ ३ ४
५x२०x ४x
3
३
४x
१
३
५x२०x४x
305
१
३
५x२०x४x
m Xx
३
२
२४
२
२x
RX
२
RX
२
RX
२
२x
२
२ ४ ५X१५X ४x २x
१
३x
9
३x
१
३x
9
३x
१
३x
9
३x
9
३x
योग
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१
१३
9
१०X
१
१०X
9
१३x
१
१३x
9
१०X
१
१३x
1
9
ܩ
१
१
१
-
,
·
I
पंचम अध्याय .......{339}
9
9
१
P
9
9
१
-9x 9
9 १ -9x 9
कुलभंग
३६०००
११७०००
६००००
६००००
१५६०००
१५६०००
१२००००
११७०००
८८२०००
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