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________________ - अनुक्रमणिका (K विषय पेज क्र. r300 (१) गुणस्थान शब्द का पारिभाषिक अर्थ और उसके पर्यायवाची शब्द १. गुणस्थानों की उत्पत्ति २. गुणस्थान का अर्थ व विकास ३. चौदह गुणस्थानों की अवधारणा और उनका स्वरूप ४. आध्यात्मिक विकास के सोपान गुणस्थान (२) | अर्द्धमागधी आगम साहित्य और आगमिक व्याख्याओं में गुणस्थान की अवधारणा १. अर्द्धमागधी आगम साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा के बीज २. नियुक्ति साहित्य और गुणस्थान सिद्धान्त ३. भाष्य साहित्य और गुणस्थान सिद्धान्त ४. चूर्णि साहित्य और गुणस्थान सिद्धान्त ५. आगमिक टीकाएं और गुणस्थान सिद्धान्त | शौरसेनी आगम साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा १. कषायपाहुड और गुणस्थान की अवधारणा २. षट्खण्डागम में गुणस्थान सिद्धान्त सम्बन्धी विवेचन ३. भगवती आराधना में गुणस्थान सिद्धान्त ४. मूलाचार में गुणस्थान सम्बन्धी विचारणा ५. आचार्य कुन्द-कुन्द के ग्रन्थों में गुणस्थान की अवधारणा तत्त्वार्थसूत्र और उसकी टीकाओं में गुणस्थान की अवधारणा १. तत्त्वार्थसूत्र और उसके स्वोपज्ञभाष्य में गुणस्थान सिद्धान्त के बीजरूप गुणश्रेणी की अवधारणा २. तत्त्वार्थसूत्र की सवार्थसिद्धि टीका में गुणस्थान ३. तत्त्वार्थसूत्र की राजवार्तिक टीका में गुणस्थान ४. तत्त्वार्थसूत्र की श्लोकवार्तिक टीका और गुणस्थान ५. सिद्धसेनगणि की तत्त्वार्थभाष्यवृत्ति और गुणस्थान ६. आचार्य हरिभद्र की तत्त्वार्थभाष्यटीका और गुणस्थान १७३ १७८ १८६ १६७ १६७ १६८ २३७ २५१ २५३ २५६ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001733
Book TitlePrakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshankalashreeji
PublisherRajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP
Publication Year2007
Total Pages566
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Soul, & Spiritual
File Size20 MB
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