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________________ २४ जैन दर्शन में समत्वयोग की साधना । दूसरे यदि उसी प्राकृत सम शब्द का संस्कृत रूप श्रम मानें तो आत्मपुरुषार्थ करना अर्थात् विभाव दशा से हटकर स्वभाव दशा में आने का प्रयत्न करना ही समत्वयोग है। ___ गीता में समत्व को ही योग कहा गया है। इसका अर्थ है कि जिसके द्वारा समभाव की प्राप्ति होती हो, चित्त के विकल्प शान्त होते हों वही समत्वयोग है। इस प्रकार चित्त को निर्विकल्प बनाने की साधना को समत्वयोग की साधना माना गया है। __यदि हम योग शब्द का अर्थ 'योगः कर्मसु कौशलम्' करते हैं तो समत्वयोग का तात्पर्य होगा - किसी भी कार्य को इस रूप में करना जिससे कि बन्धन नहीं हो। कार्य करते हुए भी बन्धन से बचे रहना ही कर्म की कुशलता है; यही समत्वयोग की साधना है। जैनदर्शन में सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान एवं सम्यक्-चारित्र को मोक्षमार्ग कहा गया है। वस्तुतः ज्ञान, दर्शन व चारित्र तभी मोक्षमार्ग बनते हैं जब वे सम्यक् हों अर्थात समत्व की दिशा में गतिशील हों। जो ज्ञान, दर्शन तथा चारित्र समत्व की दिशा में ले जाते हैं, वे ही सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यक्-चारित्र कहलाते हैं। इसके विपरीत जो ज्ञान, दर्शन और चारित्र हमें विषमता या विकारों की ओर ले जाते हैं, वे मिथ्या होते हैं। इस दृष्टि से सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यक-चारित्र की साधना भी समत्वयोग की साधना कही जाती है। वस्तुतः ज्ञान, दर्शन और चारित्र का सम्यक्त्व अर्थात् समत्व ही एक ऐसा आधार है जो व्यक्ति को मोक्ष से योजित करता है। १.५ समत्व और सामायिक जैनदर्शन में सामायिक शब्द का अर्थ करते हुए यह बताया गया है कि जिससे समभाव की प्राप्ति हो वह सामायिक है। सामायिक में समभाव या समता की वृत्ति ही मुख्य है। राग-द्वेष से ऊपर उठकर समभाव में स्थिर रहना ही सामायिक है। अतः सामायिक और समत्व वस्तुतः एक दूसरे के पर्यायवाची ही हैं। दूसरी दृष्टि से अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों अर्थात् सुख-दुःख, लाभ-अलाभ, मान-अपमान आदि में चित्तवृत्ति में उद्वेग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
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