SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारतदेशे...आंध्रप्रदेशे...कर्नाटकबोर्डरे...आदोनी समीपे...18 कि.मी. दूर मंत्रालय रोड पर स्थित पेद्दतुम्बलम् गाँव में संभवत: 55 वर्ष पूर्व कुएं के उत्खनन् के समय महाप्रभाविक पार्श्वनाथ परमात्मा की 12वीं शताब्दी की प्रमाणित प्रतिमा प्राप्त हुई। प.पू. द्वय गुरुवर्या श्री सुलोचना श्रीजी म.सा. एवं प.पू. सुलक्षणा श्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा से तीर्थ स्थल में विशाल आराधना भवन, 50 कमरे, 5 हॉल, भोजनशाला, उपाश्रय, भव्य सूरज-भवन, त्रिशिखरबद्ध जिनालय दादावाडी, गुरु मन्दिर और सूर्य मन्दिर का कार्य तीव्रता से प्रगति की ओर... प्राचीन प्रतिमाजी से तीर्थ स्थापना हुई। वही प्रतिमाजी" मूलनायक रूप में विराजमान होगी। यह तीर्थोद्धार है। तीर्थ का सुरम्य वातावरण जनमानुष को प्रमुदित बनाता है। दर्शन, पूजा का उत्कृष्ट प्रतीक है। उत्सव प्रसंग है महा मंगलकारी गुरुवर्या श्री की सन्निधि अति आनंदकारी पार्श्वमणितीर्थ की पवित्र भूमि पावनकारी प्रतिष्ठा-महोत्सव की शुभ घड़ियाँ जयकारी... मंगलकारी 2 मार्च 2008 के शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठा श्रीपाश्वमणि जैन तीर्थी पेइतुम्बळम आदोनि Educat international national For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy