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________________ समत्वयोग : साधक, साध्य और साधना मच्छर आदि) जीवों की रक्षा होती है। मुंहपत्ति की प्रतिलेखना करते समय ५० बोल बोले जाते हैं । 1 स्थापनाचार्य सामायिक करते समय स्थापनाचार्य की स्थापना की जाती है । स्थापनाचार्य की साक्षी से धर्मक्रिया विशेष दृढ़ होती है । माला भी कीमती न होकर सूत की होनी चाहिये । बहुमूल्य माला ममता या अहंकार पुष्ट करने वाली होती है । सूत की माला ही सबसे शुद्ध मानी गई है। इसे नवकारवाली भी कहा जाता है । नवकारमंत्र का जिससे जाप किया जाय, वह नवकारवाली, जिसमें १०८ मणके होते हैं। ऐसी शंका उत्पन्न होती है कि माला में १०८ मणके ही क्यों होते हैं; तो उसके उत्तर में यही कहा गया है कि अरिहन्त परमात्मा के १२ गुण; सिद्ध के आचार्य के ३६; उपाध्याय के २५ और साधु के २७ इस प्रकार पंच परमेष्ठी के गुणों को मिलाने से १०८ गुण होते हैं । इसीलिये माला के भी १०८ मणके होते हैं 1 ८; - २११ सामायिक में जिस पुस्तक से स्वाध्याय अर्थात् स्व + अध्ययन हो सके अर्थात् अपनी आत्मा का अध्ययन हो सके या जिस पुस्तक के वाचन से आत्मस्वरूप के साथ-साथ अध्यात्मवृत्ति जाग्रत हो सके; जिससे उत्तरोत्तर भावविशुद्धि हो, ऐसी पुस्तक का सामायिक में वाचन करना चाहिये । सामायिक में आभूषण आदि धारण करके बैठना भी उचित नहीं माना गया है, क्योंकि सामायिक त्याग का क्षेत्र है। अतः उसमें त्याग का भाव होना अत्यावश्यक है । Jain Education International सामायिक के वस्त्र कटे-फटे, मैले एवं अशुद्ध न हो । वस्त्र श्वेत, स्वच्छ, धोये हुए या नवीन होने चाहिये। क्योंकि वस्त्रों की बाह्य उज्वलता से भावों की उज्वलता पर प्रभाव पड़ता है। पुरुषों के लिये धोती - दुपट्टा तथा स्त्रियों के लिये पेटीकोट, ब्लाउज और साड़ी ही होनी चाहिये। सर्दी आदि के मौसम में शक्ति अनुसार गर्म शाल का उपयोग कर सकते हैं, ऐसा उल्लेख आचार्य हरिभद्रसूरि तथा अभयदेव आदि के ग्रन्थों में मिलता है। आचार्य हरिभद्रसूरि आवश्यकवृहदवृत्ति में लिखते हैं कि 'सामाइयं कुणंतो मउड अवणेति, कुंडलाणि, णाममुछं पुप्फ तंबोल पावारगमादी वोसिरति’। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
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