________________
विषय-सूची
रसानुसार नायकोंकी व्यवस्था ३११, शृंगार रसानुसार नायकोंके उपभेद ३११, नायकोंके अन्य भेद ३१३, विदूषक और विट् ३१३, पीठमर्द
और प्रतिनायक ३१३, सत्त्वोत्पन्न युवावस्थाके गुण सात्त्विक गुण ३१३, गम्भीरता ३१३, स्थैर्य, माधुर्य और तेज ३१४, शोभा और विलास ३१४, औदार्य और ललित ३१४, नायिकाओंके भेद ३१४, स्वकीया ३१५, उदाहरण ३१५, परकीयाके भेद ३१५, उदाहरण ३१५, गणिका ३१६, स्वकीयानायिकाके भेद और मुग्धाका स्वरूप ३१६, उदाहरण ३१६, मध्याका स्वरूप ३१६, प्रगल्भाका स्वरूप ३१७, उदाहरण ३१७, मध्यानायिकाके भेद ३१७, धीरा-मध्याका उदाहरण ३१७, धीराधीराका उदाहरण ३१८, अधीराका उदाहरण ३१८, मध्या अधीराका उदाहरण ३१८, प्रगल्भा नायिकाके भेद ३१९, प्रौढ़ा-अधोराका उदाहरण ३१९, प्रगल्भा धीरा-धीराका उदाहरण ३१९, प्रगल्भा अधीरा ३२०, मध्या और प्रगल्भा नायिकाके भेद ३२०, स्वाधीनपतिका और वासकसज्जिका ३२१, उदाहरण ३२१, कलहान्तरिता और खण्डिता नायिका ३२२, कलहान्तरिताका उदाहरण ३२२, खण्डिताका उदाहरण ३२२, विप्रलब्धा और प्रोषितभर्तृका ३२२, विप्रलब्धाका उदाहरण ३२३, प्रोषितभर्तृकाका उदाहरण ३२३, विरहोत्कण्ठिता और अभिसारिका ३२३, विरहोत्कण्ठिताका उदाहरण ३२३, अभिसारिकाका उदाहरण ३२४, दूतियाँ ३२४, स्त्रियोंके सात्त्विक भाव ३२४, सत्त्व और भावका स्पष्टीकरण ३२५, हाव-भाव ३२५, हेला ३२६, उदाहरण ३२६, शोभा ३२६, उदाहरण ३२६, कान्ति ३२७, उदाहरण ३२७, दीप्ति ३२७, उदाहरण ३२७, प्रागल्भ्य ३२७, उदाहरण ३२८, माधुर्य ३२८, उदाहरण ३२८, धैर्य ३२८, उदाहरण ३२८, औदार्य ३२९, उदाहरण ३२९, लीला ३२९, उदाहरण ३२९, विलास ३२९, उदाहरण ३२९, ललित ३३०, उदाहरण ३३०, किलकिञ्चित ३३०, उदाहरण ३३०, विभ्रम ३३१, उदाहरण ३३१, कुट्टमित ३३१, उदाहरण ३३१, मोट्टायित ३३१, बिब्बोक ३३२, उदाहरण ३३२, विच्छित्ति ३३३, उदाहरण ३३३, ब्याहृत ३३३,
उदाहरण ३३३ । प्रशस्ति
....
३३५ परिशिष्ट
३३७-३८७ [ General Editorial on Page 1-6 ]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org