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________________ ७८ अलंकारचिन्तामणि इस ग्रन्थके सम्पादन एवं अनुवादकी प्रेरणा श्री डॉ. दरबारीलालजी कोठिया, एम. ए., पी-एच. डी., जैन-दर्शन-शास्त्राचार्य, वाराणसीसे निरन्तर प्राप्त होती रही और उन्हींकी प्रेरणाके फलस्वरूप यह कार्य सम्पन्न हुआ है। अतएव उनके तथा अन्य प्रेरक श्री डॉ. गोकुलचन्द्रजी, एम. ए., पी-एच. डी., जैनदर्शनाचार्य के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करना अपना पुनीत कर्तव्य समझता हूँ। भारतीय ज्ञानपीठके मन्त्री श्री बाबू लक्ष्मीचन्द्रजी के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ, जिनकी कृपासे यह ग्रन्थ ज्ञानपीठ-द्वारा प्रकाशित हो रहा है। अन्य मित्र और शिष्य वर्गने भी प्रेरणा देकर मेरे शैथिल्यको दूर कर मुझसे यह कार्य कराया अतएव उनका भी मैं आभार स्वीकार करता है। इस वर्गमें डॉ. शिवनारायण प्रसाद भगत, एम. बी. बी. एस., डी. टी. एम. (कलकत्ता), डॉ. मुरली मनोहर प्रसाद, एम. ए., पी-एच. डी., डॉ. गदाधर सिंह, एम. ए., पी-एच. डी., श्री डॉ. जगन्नाथ पाठक और डॉ. के. एन. ब्रह्मचारी प्रधान हैं । प्रस्तावना लिखने में जिन आचार्योंके ग्रन्थोंका उपयोग किया गया है उन के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ। प्रतियाँ उपलब्ध करनेमें श्री पं. के. भुजबलीजी शास्त्री मूडबिद्रीसे सहयोग प्राप्त हुआ है । अतएव शास्त्रीजीके प्रति नतमस्तक हो आभार प्रकट करता हूँ। चित्रालंकारके अन्तर्गत विभिन्न बन्धोंके नक्शे पटना कलमके अन्तिम धनी श्री महावीरप्रसाद वर्माने तैयार किये हैं। अतएव मैं उनका भी आभार स्वीकार करता हूँ। गणतन्त्र दिवस, १९७३ -नेमिचन्द्र शास्त्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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